महागठबंधन से नहीं जा पाएगा कोई राज्यसभा,तेजस्वी के साथ खेल करेंगे ओवैसी के विधायक!
बिहार की राजनीति में अगले कुछ ही दिनों में एक बार फिर राज्यसभा चुनाव को लेकर हलचल तेज होने वाली है. बिहार कोटे से राज्यसभा की 5 सीटें 9 अप्रैल 2026 को खाली हो रही हैं. ऐसे में सवाल यह है कि इन पांच सीटों पर किस पार्टी की पकड़ मजबूत है, किसकी सीट फंसती दिख रही है और किसे नए समीकरण गढ़ने होंगे.जदयू के दो सांसद, राजद के दो सांसद और उपेंद्र कुशवाहा का कार्यकाल खत्म हो रहा है. अब इनकी वापसी होगी या नए चेहरे आएंगे, यह पूरी तरह से विधानसभा के मौजूदा संख्याबल और राजनीतिक सौदेबाज़ी पर निर्भर करेगा. राज्यसभा चुनाव में विधायकों के वोट के आधार पर सांसद चुने जाते हैं. बिहार विधानसभा की कुल सदस्य संख्या 243 है. सामान्य तौर पर एक राज्यसभा सीट जीतने के लिए करीब 41 विधायकों के वोट की जरूरत होती है.

कुल वोट/सीटें + 1 के फार्मूले से. इस आधार पर 5 सीटों के लिए करीब 205 वोट निर्णायक होंगे।बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए को प्रचंड बहुमत मिला. 243 विधानसभा सीट में एनडीए ने 202 सीट पर जीत दर्ज की. बीजेपी 89 जदयू 85 एलजेपी-आर 19, हम 5 और राष्ट्रीय लोक मोर्चा को चार सीट पर सफलता मिली. पूरा विपक्ष 35 सीटों पर सिमट गया.राजद के खाते में 25, कांग्रेस के खाते में 6, सीपीएम 1, CPIML को 2 सीट, आईपी गुप्ता की पार्टी को एक सीट पर जीत हासिल हुई. AIMIM को 5 सीट पर जीत हासिल हुई. विधानसभा के आंकड़ों के हिसाब से राज्यसभा की खाली हुई 5 सीट में एनडीए सभी पांच सीटों पर जीतने की स्थिति में है.जिन पांच सीटों पर राज्यसभा का चुनाव होना है उसमें बीजेपी के खाते में एक भी सीट नहीं है. लेकिन विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद जो संख्या बल बना है उसमें बीजेपी के खाते में दो सीट जाते दिख रही है. संख्या बल के आधार पर बीजेपी के खाते में 89 विधायक हैं तो दो राज्यसभा के सांसद आसानी से चुनाव जीत सकते हैं.2025 विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद विधानसभा में राजद की स्थिति बहुत कमजोर हुई है. आरजेडी 25 सीटों पर सिमट कर रह गई. किसी तरीके से तेजस्वी प्रसाद यादव विधानसभा में विरोधी दल के नेता बन पाए. महागठबंधन की स्थिति भी अच्छी नहीं रही. राजद, कांग्रेस, सीपीआई, CPIML, और आईपी गुप्ता की पार्टी को जोड़कर कुल 35 सीट पर जीत दर्ज हुई. इस स्थिति में प्रेमचंद गुप्ता और अमरेन्द्र धारी (एडी) सिंह को दोबारा मौका मिलना कठिन दिख रहा है. राज्यसभा की एक सीट के लिए कम से कम 41 विधायकों के समर्थन किया जरूरत होती है. संख्या बल के आधार पर एनडीए का पलड़ा बहुत मजबूत है. लेकिन बिहार विधानसभा में सभी विपक्षी पार्टी यदि एकजुट हो जाते हैं तो एक सीट पर मामला फंस सकता है. महागठबंधन के विधायकों की संख्या 35 है, इसके अलावे असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी को 5 और बसपा को 1 सीट मिला है. यदि वह महागठबंधन के साथ मिल जाते हैं तो संपूर्ण विपक्ष का आंकड़ा 41 के पास पहुंच जाता है. अगर विपक्ष में कोई बड़ा उलटफेर नहीं होता है तो 1 सीट पर दिलचस्प लड़ाई हो सकती है।नितिन नबीन के बीजेपी के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद जदयू में भी युवा चेहरे की चर्चा होने लगी है. जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने भी बयान दिया है कि उनके दल में भी युवा नेतृत्व सामने आने वाला है. उनका इशारा नीतीश कुमार के पुत्र निशांत को लेकर था. अब इस पर भी चर्चा होने लगी है कि क्या निशांत राज्यसभा जाएंगे या संगठन में किसी महत्वपूर्ण पद पर बैठेंगे।
