भाजपा का मुकाबला करने के लिए कुछ इस तरह से तैयार है कांग्रेस,शशि थरूर ने बताई अंदर की बात
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने गुरुवार को कहा कि पार्टी हाल के वर्षों में अधिक वामपंथी हो गई है, क्योंकि वह बीजेपी की विभाजनकारी राजनीति का मुकाबला करने का प्रयास कर रही है. क्या बीजेपी की राजनीति के खिलाफ कांग्रेस और वामपंथी दलों का साथ आना रेडिकल सेंट्रिज्म (कट्टर केंद्रीयता) का उदाहरण है, इस सवाल के जवाब में थरूर ने कहा कि उनके विचार व्यवहारिक राजनीति की बारीकियों पर नहीं, बल्कि सिद्धांतों और विचारधारा पर केंद्रित थे, जहां कुछ दूरियों को पाटने की आवश्यकता है.इससे पहले उन्होंने रेडिकल सेंट्रिज्म पर एक व्याख्यान दिया था. उन्होंने गुरुवार रात आयोजित कार्यक्रम में कहा, लेकिन, रणनीतिक समायोजन लगातार बढ़ते जा रहे हैं.शशि थरूर ने कहा कि कुछ मायनों में, इसका एक नतीजा यह हुआ है कि मेरी पार्टी पहले से कहीं ज्यादा वामपंथी पार्टी बन गई है. इस अर्थ में, अगर आप डॉ. मनमोहन सिंह की पार्टी को देखें, तो आप कह सकते हैं कि यह अपने दृष्टिकोण में ज़्यादा सचेतन रूप से मध्यमार्गी थी.

इसने पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार की कुछ नीतियों से प्रेरणा ली थी.उन्होंने याद दिलाया कि कांग्रेस ने 1990 के दशक की शुरुआत में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के नेतृत्व में कुछ नीतियां बनाई थीं, जिनका अनुसरण बीजेपी ने कुछ साल बाद सत्ता में आने पर किया. उन्होंने कहा कि यह तर्क दिया जा सकता है कि 1991 और 2009 के बीच एक मध्यमार्गी दौर था, जो संभवतः उसके बाद बदलना शुरू हो गया.उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से, पिछले कुछ वर्षों में विपक्ष में रहते हुए, कांग्रेस पहले की तुलना में कहीं ज्यादा वामपंथी पार्टी बन गई है. यह रणनीतिक समायोजन है या दार्शनिक विश्वास या जो भी हो, यह तो देखना बाकी है. हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि वह जिस बात की वकालत कर रहे थे वह राजनीतिक सीट स्तर पर तत्काल सामरिक समायोजन से कहीं आगे की बात थी.वहीं जब उनसे पूछा गया कि क्या वे दोबारा AICC अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ेंगे, तो थरूर ने कहा कि अभी ऐसी कोई संभावना नहीं दिखती, हालांकि वे खुश हैं कि कांग्रेस में एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया मौजूद है.इसके अलावा, अमेरिका के बयान पर कि विदेशी कुशल श्रमिक अमेरिका में काम कर अमेरिकियों को प्रशिक्षित करें और फिर लौट जाएं, इस पर थरूर ने कहा भारत को इससे कोई आपत्ति नहीं. हम चाहते हैं कि हमारे लोग बाहर अनुभव लें और फिर भारत लौटकर देश की प्रगति में योगदान दें.
