बिहार ही नहीं पश्चिम बंगाल की वोटर लिस्ट में भी प्रशांत का नाम आया सामने,मच गया खलबली
बिहार में पहले चरण की वोटिंग को लेकर चुनावी सरगर्मी तेज हो गई है और ताबड़तोड़ राजनीतिक रैलियां आयोजित की जा रही है. इस बीच चुनावी रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर फिर से चर्चा में आ गए हैं. उनकी नवगठित जन सुराज पार्टी बिहार में विधानसभा चुनाव लड़ रही है, लेकिन प्रशांत किशोर का नाम 2 अलग-अलग राज्यों (पश्चिम बंगाल और बिहार) की वोटर लिस्ट में दर्ज है.जबकि बिहार में, वह सासाराम संसदीय क्षेत्र के करगहर विधानसभा क्षेत्र में वोटर के रूप में रजिस्टर्ड हैं. उनका पोलिंग स्टेशन रोहतास जिले के अंतर्गत मध्य विद्यालय, कोनार है. कोनार उनका का पैतृक गांव भी है.अखबार इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, प्रशांत किशोर से जब इस मामले में टिप्पणी के लिए कॉल की गई या फिर मैसेज किया गया लेकिन उन्होंने इसका जवाब नहीं दिया, लेकिन उनकी टीम के एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा कि वह बंगाल चुनावों के बाद बिहार में वोटर बन गए.

उन्होंने कहा कि प्रशांत किशोर ने अपना बंगाल वोटर कार्ड रद्द करने के लिए आवेदन किया है, लेकिन उन्होंने आवेदन की स्थिति के बारे में विस्तार से कोई जानकारी नहीं दी. बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल ने भी इस सवाल का जवाब नहीं दिया.जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 17 के अनुसार, “कोई भी व्यक्ति एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों की वोटर लिस्ट में रजिस्टर्ड होने का हकदार नहीं होगा”. साथ ही धारा 18 में यह भी कहा गया कि किसी भी व्यक्ति का एक ही निर्वाचन क्षेत्र की वोटर लिस्ट में एक से अधिक बार रजिस्ट्रेशन नहीं होगा. एक बार रजिस्टर्ड होने के बाद, वोटर फॉर्म 8 भरकर अपना नामांकन बदल सकता है, जो निवास स्थान बदलने या त्रुटियों को सुधारने के लिए चुनाव आयोग का फॉर्म दिया गया है.एक से अधिक जगहों पर वोटर लिस्ट के खिलाफ ECIहालांकि नियम के बावजूद बड़ी संख्या में वोटर्स का नाम कई स्थानों पर रजिस्टर्ड मिलता है. इसी को देखते हुए चुनाव आयोग ने इसे देश में वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) कराने का फैसला लिया, जिसकी शुरुआत बिहार से हुई. बिहार में एसआईआर की प्रक्रिया, जो पिछले महीने 30 सितंबर को वोटर लिस्ट के फाइनल जारी किए जाने के साथ ही खत्म हो गई. इस प्रक्रिया में कुल मिलाकर 68.66 लाख वोटर्स के नाम हटा दिए गए, जिनमें से 7 लाख प्रविष्टियां एक से अधिक स्थानों पर रजिस्टर्ड वोटर्स की थीं. हालांकि अधिकारी यह भी मानते हैं कि वोटर लिस्ट में अभी भी डुप्लिकेट नाम हो सकते हैं.वार्ड संख्या 73 की स्थानीय तृणमूल पार्षद और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की भाभी, कजरी बनर्जी ने कहा कि 121, कालीघाट रोड, अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस का पार्टी ऑफिस है. “वह (प्रशांत किशोर) (टीएमसी में अपने कार्यकाल के दौरान) उस इमारत में आते और ठहरते थे. लेकिन मुझे याद नहीं है कि उन्होंने यहीं से (वोटर के रूप में) नामांकन कराया था या नहीं.”हालांकि पिछले साल लोकसभा चुनावों के दौरान, वामदल सीपीएम ने प्रशांत किशोर के वहां वोटर होने पर गहरी आपत्ति जताई थी. भवानीपुर-2 क्षेत्र समिति के सचिव विश्वजीत सरकार ने कहा, “हमने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर कहा था कि किशोर यहां के निवासी नहीं हैं और इसलिए उनका नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया जाना चाहिए.”
