अपनों ने हीं कांग्रेस में शुरू करा दी बगावत,बिहार में गजब का हुआ खेल!

 अपनों ने हीं कांग्रेस में शुरू करा दी बगावत,बिहार में गजब का हुआ खेल!
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जिस कृष्णा अल्लावरू को कांग्रेस ने बड़ी उम्मीदों के साथ बिहार की जिम्मेदारी दी थी, वो सूबे में पार्टी के लिए मुसीबत बन गए. अल्लावरू बिहार कांग्रेस के प्रभारी बनाए गए थे, लेकिन कहा जा रहा है कि उन्होंने फायदे से ज्यादा नुकसान ही पहुंचाया. टिकट बंटवारे के बाद पार्टी में नाराजगी से लेकर आरजेडी से सीटों पर बात नहीं बनने के लिए उन्हें ही जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. हालात बिगड़ता देख कांग्रेस को अपने सबसे अनुभवी नेता अशोक गहलोत को मैदान में उतारना पड़ा. इसके बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या अल्लावरू महागठबंधन के सबसे बड़े विलेन बन गए.अल्लावरू को विरोध टिकट बंटवारे के बाद ही शुरू हो गया था. एक गुट ने तो उन्हें हटाने की मांग की. अल्लावरू पर पैसे लेकर टिकट देने के आरोप भी लगे. डैमेज सिर्फ पार्टी के अंदर नहीं हुआ, बाहर भी हुआ. महागठबंधन का अहम हिस्सा आरजेडी ने कांग्रेस के सामने उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर दिया. ज्यादा डेंट ना पहुंचे इसके लिए कांग्रेस ने वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत को जिम्मेदारी दी.राजस्थान के पूर्व सीएम गहलोत हालात संभालने के लिए बुधवार को पटना पहुंचे.

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उन्होंने आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव से मुलाकात की. एक फोटो भी सामने आई, जिसमें सबकुछ ठीक होने का मैसेज दिया गया. गहलोत की कोशिश रंग भी लाती दिख रही है. इस मीटिंग के बाद महागठबंधन की ओर से गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस होगी, जिसमें खुद गहलोत भी रहेंगे.बता दें कि बिहार की कुल 243 विधानसभा सीटों में से आरजेडी 143 और कांग्रेस 61 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. हालांकि, कम से कम पांच सीटों पर दोनों दलों के बीच दोस्ताना मुकाबला होने जा रहा है. वहीं, तीन सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी गठबंधन सहयोगी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) से भी मुकाबला करेंगे. गहलोत ने पटना पहुंचने पर कहा था कि पांच-दस सीटों पर दोस्ताना मुकाबला कोई बड़ी बात नहीं है. लालू प्रसाद से मुलाकात के बाद उन्होंने कहा, हमें उम्मीद है कि नामांकन वापसी की अंतिम तिथि तक सभी मुद्दे सुलझा लिए जाएंगे.गहलोत के साथ अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरू भी मौजूद थे. राज्य के कुछ कांग्रेस नेता उन्हें मौजूदा स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. कांग्रेस का एक धड़ा गठबंधन की बातचीत और टिकट बंटवारे में अल्लावरू की भूमिका से नाखुश है. यह बात कटिहार के सांसद तारिक अनवर ने टिकट बंटवारे की प्रक्रिया पर सवाल उठाकर साफ कर दी थी.बिहार कांग्रेस रिसर्च विंग के प्रमुख आनंद माधव, पूर्व विधायक गजानंद शाही उन स्थानीय नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने विरोध में इस्तीफा दे दिया. अल्लावरू को एयरपोर्ट पर विरोध-प्रदर्शन का भी सामना करना पड़ा था. अल्लावरू के साथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम और विधायक दल के नेता शकील अहमद खान को पटना हवाई अड्डे पर उस समय विरोध का सामना करना पड़ा जब पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच पक्षपात और टिकट बिक्री के आरोपों को लेकर झड़प हो गई.एक और पेचीदा मुद्दा महागठबंधन का मुख्यमंत्री पद का चेहरा भी रहा, क्योंकि आरजेडी तेजस्वी यादव को गठबंधन का नेतृत्व करने के लिए उत्सुक रही है. अल्लावरू नहीं चाहते थे कि कांग्रेस की ओर से ऐसी कोई घोषणा हो.अल्लावरू ने जब बिहार में वरिष्ठ कांग्रेस नेता मोहन प्रकाश से कार्यभार संभाला था तब पार्टी में कई लोग आलाकमान के इस फैसले से हैरान रह गए थे. 51 वर्षीय इस नेता को राहुल गांधी की वोट अधिकार यात्रा के प्रमुख रणनीतिकारों में से एक माना जाता है. हालांकि वे आधिकारिक तौर पर 2018 में संयुक्त सचिव बने, लेकिन वे लंबे समय से राहुल के मार्गदर्शन में युवा शाखा का प्रबंधन करने वाली कोर टीम का हिस्सा रहे हैं. सराहनीय काम किया हो, लेकिन बिहार एक अलग ही क्षेत्र है. यहां केवल मज़बूत राजनीतिक प्रवृत्ति वाले ही टिक पाते हैं. वह काफ़ी संयमित व्यक्ति हैं, जबकि उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में लोग संवादप्रिय और संवादशील नेताओं की सराहना करते हैं.

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