सौ से ज्यादा विधानसभा सीटों पर है नीतीश की नजर,भगवान शंकर के जरिए वोटों पर है नजर!

 सौ से ज्यादा विधानसभा सीटों पर है नीतीश की नजर,भगवान शंकर के जरिए वोटों पर है नजर!
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बिहार में चुनावी साल है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर से अपनी राजनीतिक रणनीति के तहत कदम बढ़ा रहे हैं. इस बार उनका फोकस राज्य की सौ से ज्यादा विधानसभा सीटों पर अपनी मजबूत पकड़ बनाने पर है. यूपी में एनडीए को राम मंदिर, रामायण सर्किट और परशुराम सर्किट से काफी लाभ मिला है. वहीं अब बिहार में भी रामायण सर्किट और शिव सर्किट से एक मजबूत धार्मिक नैरेटिव तैयार किया जा रहा है।यह बात अब साफ तौर पर दिख रहा है कि धार्मिक सर्किट-खासकर रामायण सर्किट और अब शिव सर्किट-सिर्फ सांस्कृतिक या पर्यटन विकास की योजनाएं नहीं हैं,

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बल्कि ये बीजेपी की चुनावी रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी है. उत्तर प्रदेश इसका एक सफल उदाहरण रहा है और अब बिहार में भी वही मॉडल दोहराया जा रहा है।मुख्यमंत्री नीतीश कुमार धार्मिक सर्किटों के जरिए न सिर्फ धार्मिक पर्यटन को गति देने की कोशिश हो रही है, बल्कि उन 17 जिलों के 118 विधानसभा क्षेत्रों में भी राजनीतिक पकड़ मजबूत करने का प्रयास है. चुनावी साल में एनडीए खासकर बीजेपी और जेडीयू गठबंधन शिव सर्किट को एक प्रमुख चुनावी हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है.राज्य में शिव सर्किट के अंतर्गत 17 जिलों को जोड़ने की योजना है. जिन जिलों को जोड़ा जा रहा है, वे यादव बहुल माने जाते हैं जो पारंपरिक रूप से राजद (राष्ट्रीय जनता दल) का वोट बैंक रहे हैं. यह सही है कि भाजपा की राजनीति में धर्म आधारित मुद्दे अक्सर प्रमुख रहे हैं और धार्मिक पर्यटन या सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने के प्रयासों को भी कई बार राजनीतिक रणनीति के रूप में देखा गया है।बिहार में ऐसे कई शिव मंदिर हैं जिसकी प्राचीन और ऐतिहासिक महत्व है रामायण और महाभारत काल से इसका संबंध रहा है. अररिया के सुंदर नाथ धाम में पांडव भी आए थे. सावन महीने में मंदिरों में लाखों की संख्या में लोग उमड़ते हैं. गरीब नाथ में तो बड़ी संख्या में लोग कावड़ लेकर जाते हैं. सुल्तानगंज से देवघर जाने वाले लोगों की भीड़ किसी से छिपी नहीं है।उत्तर प्रदेश में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को डेवलप किया गया है और उसी के तर्ज पर हरिहरनाथ कॉरिडोर को विकसित करने की तैयारी है. वहीं श्रावणी मेले में शिव भक्तों के लिए भागलपुर जिले के सुल्तानगंज में जहाज घाट के नजदीक रेलवे की 17 एकड़ से अधिक जमीन ली गई है. उसे भी विकसित किया जाएगा।

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