पानी के मार से बेचैन हुआ पाकिस्तान,चीन से बचने के लिए भारत ने तैयार किया प्लान

 पानी के मार से बेचैन हुआ पाकिस्तान,चीन से बचने के लिए भारत ने तैयार किया प्लान
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पानी जिंदगी का दूसरा नाम है और बूंद-बूंद पानी को तरस जाएं तो तबाही. पानी बेहिसाब बरसने या बहने लगे तो तबाही. पहलगाम आतंकी हमले में 26 सैलानियों की मौत के बाद भारत ने सबसे पहला और सबसे बड़ा फ़ैसला ये किया कि पाकिस्तान के साथ सिंधु नदी समझौता स्थगित कर दिया. उसके बाद से ही लगातार ये सवाल उठ रहा है कि क्या समझौता स्थगित करने के बाद भारत पानी के रास्ते पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर कर सकता है, क्या उस पर निर्णायक दबाव बना सकता है. क्या पानी रोक कर अक्सर पाकिस्तान को परेशान कर सकता है या फिर पानी और मिट्टी अचानक छोड़ कर पाकिस्तान के कैनाल सिस्टम को नुक़सान पहुंचा सकता है।चिनाब नदी पर बने भारत के आखिरी बांध सलाल बांध की जिसके गेट 22 अप्रैल को खोलने पड़ गए. 22 अप्रैल यानी ठीक वही दिन जब पहलगाम में आतंकियों ने 26 सैलानियों की हत्याएं कीं. उसी दिन जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में चिनाब पर बने सलाल बांध को खोला गया. हालांकि, ये आतंकवादी घटना के बदले में की गई कार्रवाई नहीं थी. ऐसा इसलिए करना पड़ा क्योंकि उससे पहले के हफ़्ते में जम्मू-कश्मीर में हुई भारी और लगातार बारिश से चिनाब नदी में पानी काफ़ी बढ़ गया था. जम्मू-कश्मीर के रामबन में बारिश से सबसे ज़्यादा नुकसान हुआ था.

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बारिश का ये पानी चिनाब नदी के रास्ते आगे बढ़ा और सलाल हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट के बांध पर दबाव बढ़ता गया. पानी में काफ़ी सिल्ट यानी मिट्टी भी जमा थी और बांध के गेट खोलना मजबूरी था. बांध के इन गेटों के खुलने से निचले इलाके में पानी काफी बढ़ गया. हालांकि निचले यानी डाउस्ट्रीम इलाकों के आसपास के लोगों को समय रहते सूचना दे दी गई. लिहाजा कोई नुकसान नहीं हुआ. भारी बारिश के चलते बांधों के गेटों को इस तरह खोलना एक रूटीन काम माना जाता है ताकि पनबिजली परियोजना को नुक़सान न पहुंचे. लिहाजा सलाल बांध के गेट खोले जाने की चर्चा खास नहीं हुई।सेंट्रल वॉटर कमीशन के मुताबिक ब्रह्मपुत्र नदी में 60% पानी भारत से आता है और 40% पानी तिब्बत से. भारत में ब्रह्मपुत्र जिन इलाकों से होकर बहती है वो बारिश के लिहाज से काफी समृद्ध हैं. इसके बावजूद अगर नदी ऊपरी इलाके में सूखी तो निचले इलाके पर उसके इकोसिस्टम पर फर्क़ तो पड़ेगा ही. एक और बड़ी चिंता ये है कि चीन अगर अचानक से अपने बांध से पानी छोड़ दे तो भारत में ब्रह्मपुत्र के आसपास के इलाकों में भयानक बाढ़ आ सकती है. यही वजह है कि कुछ लोग इसे चीन का वॉटर बम बता रहे हैं।जानकारों के मुताबिक चीन कभी ऐसा न कर पाए इससे निपटने के लिए भारत भी अरुणाचल के अपर सियांग ज़िले में देश का सबसे बड़ा बांध बनाने की तैयारी कर रहा है. अनुमान के मुताबिक क़रीब 11 हज़ार मेगावॉट के इस बांध के जलाशय में मॉनसून के दिनों में क़रीब 9 अरब घन मीटर पानी स्टोर किया जा सकेगा. इससे पीने के पानी और सिंचाई की जरूरतें भी पूरी होंगी. हालांकि, पर्यावरण के लिहाज से इतने संवेदनशील इलाके में बांध बनाने का भी विरोध तेज़ हो रहा है।

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