वन नेशन,वन इलेक्शन बिल का क्या समर्थन करेगी जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की पार्टी?जानिए इनसाइड स्टोरी

 वन नेशन,वन इलेक्शन बिल का क्या समर्थन करेगी जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की पार्टी?जानिए इनसाइड स्टोरी
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वन नेशन, वन इलेक्शन के प्रस्ताव को मोदी कैबिनेट में मंजूरी दे दी है और अब संसद के शीतकालीन सत्र में इस पर बिल लाने की संभावना है. ज्यादातर विपक्षी पार्टियों ने वन नेशन, वन इलेक्शन बिल का विरोध करने का ऐलान किया है, लेकिन जम्मू-कश्मीर में सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस की प्रतिक्रिया इस बिल पर थोड़ी अलग है. उन्होंने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस मतदान से पहले यह फैसला करेगा कि बिल का समर्थन करना है या फिर विरोध करना है.जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को कहा कि वन नेशन, वन इलेक्शन फिलहाल कैबिनेट में पारित हुआ है, लेकिन अभी तक इसे संसद में पेश नहीं किया गया है. इस मामले पर विस्तार से चर्चा होने की जरूरत है.

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उन्होंने कहा कि वन नेशन, वन इलेक्शन का हश्र अनुच्छेद 370 और (जम्मू-कश्मीर को) केंद्र शासित प्रदेश में बदलने से संबंधित विधेयक जैसा नहीं होना चाहिए. बता दें कि साल 2019 में एक या दो घंटे की चर्चा के बाद अनुच्छेद 370 पर संशोधन पारित कर दिया गया था.उन्होंने कहा कि वन नेशन, वन इलेक्शन विधेयक जब संसद में पेश किया जाए, तो इस पर खुली चर्चा होनी चाहिए. उसके बाद इस पर कोई फैसला हो. सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जहां तक नेशनल कॉन्फ्रेंस का सवाल है, वे लोग इसे लेकर बैठक करेंगे. उसके अनुसार अपने सांसदों को बताएंगे कि कैसे मतदान करना है.दूसरी ओर, सीएम उमर ने दरबार मूव को फिर से शुरू करने के अपने फैसले का बचाव किया, जो एक पुरानी प्रथा है जिसके तहत सरकार हर छह महीने में जम्मू और श्रीनगर के बीच प्रशासन को स्थानांतरित करती थी. लगभग 150 साल पहले डोगरा शासकों द्वारा शुरू की गई इस प्रथा को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने 2021 में रोक दिया था.भाजपा पर जम्मू के लोगों के खिलाफ अत्याचार करने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार राष्ट्रीय पार्टी द्वारा की गई हर गलती को ठीक करेगी. उन्होंने कहा, “यह भाजपा ही थी जिसने दरबार मूव को रोका और जम्मू के साथ ज्यादती की. उन्होंने हर पहलू में इस क्षेत्र के साथ अन्याय किया है.गठबंधन सहयोगी कांग्रेस को समायोजित करने के लिए अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर अब्दुल्ला ने कहा, “आपको इससे क्या लेना-देना है और यह मेरा काम है.” उन्होंने अपनी सरकार की विपक्ष की आलोचना को खारिज कर दिया और कहा, “हम पांच साल के शासन के पूरा होने के बाद अपना रिपोर्ट कार्ड प्रकाशित करेंगे.” अब्दुल्ला ने कहा, “अगर विपक्ष को कुछ करना होता, तो लोग उन्हें जनादेश देते. हमें पांच साल दिए गए हैं, पांच दिन, पांच हफ्ते या पांच महीने नहीं… हम पांच साल पूरे होने के बाद अपना रिपोर्ट कार्ड प्रकाशित करेंगे.”

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