चिराग पासवान के लिए सॉफ्ट हुए चाचा पशुपति पारस,करने जा रहे हैं ये बड़ा काम?

 चिराग पासवान के लिए सॉफ्ट हुए चाचा पशुपति पारस,करने जा रहे हैं ये बड़ा काम?
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बिहार की सियासत में एनडीए में चिराग पासवान अपनी जगह बना चुके हैं और चाचा पशुपति पारस से उनकी राजनीतिक लड़ाई सर्वविदित है, लेकिन हाल के दिनों में पशुपति पारस के बयान ने लोगों का ध्यान खींचा है. ऐसा बयान आया है कि पशुपति पारस भी चाहते हैं कि चिराग पासवान बिहार के मुख्यमंत्री बने. ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि चिराग की तरक्की से पशुपति पारस वास्तव में खुश हैं या फिर यह उनकी राजनीतिक मजबूरी है?लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) में टूट के बाद अपना अलग रास्ता चुनने वाले केंद्रीय मंत्री रह चुके पशुपति पारस इन दिनों अपने राजनीतिक अस्तित्व को लेकर सबसे मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं. न तो उन्हें राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में कोई खास तवज्जो मिल पा रही है और न ही महागठबंधन में उन्हें गंभीरता से लिया जा रहा है. ऐसे में पारस के लिए सबसे बड़ी चुनौती अपनी पार्टी की पहचान और समर्थकों का भरोसा बनाए रखना हैं।

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सूत्रों का कहना है कि एलजेपी में टूट के बाद चिराग पासवान ने एनडीए में अपने लिए मजबूत जगह बनाई. 2024 लोकसभा चुनाव में चिराग की पार्टी ने 100 फीसदी स्ट्राइक रेट दर्ज किया और खुद को रामविलास पासवान की असली राजनीतिक विरासत का उत्तराधिकारी साबित कर दिया. इसके उलट, पशुपति पारस की स्थिति लगातार कमजोर होती चली गई एनडीए में चिराग की वापसी के साथ ही पारस का रास्ता लगभग बंद हो गया. यही वजह है कि अब वे महागठबंधन का सहारा तलाशते दिखाई दे रहे हैं।जानकारी के अनुसार, कांग्रेस पारस को महागठबंधन में शामिल करने की पक्षधर नहीं बताई जा रही है. सूत्रों का कहना है कि लालू प्रसाद यादव चाहते हैं कि पशुपति पारस को दो से तीन सीट दे दी जाए, हालांकि तेजस्वी यादव पशुपति यादव आरजेडी के सिंबल पर ही चुनाव लड़ाने की बात कर रहे हैं, लेकिन यह पशुपति पारस के साथ नेताओं को दिल से स्वीकार नहीं है. सूत्रों का कहना है कि तेजस्वी यादव चाहते हैं कि पारस चुनाव लड़ते हैं तो आरजेडी के सिंबल पर ही उन्हें चुनाव लड़ना चाहिए.दूसरी ओर, सूत्रों का कहना है कि पशुपति पारस की राजनीति में सबसे बड़ी ताकत पूर्व सांसद सूरजभान सिंह को माना जाता है. भूमिहार समाज से आने वाले सूरजभान का मोकामा, नवादा, बेगूसराय और लखीसराय क्षेत्र में अपनी जाति के बड़े तबके में उनका गहरा प्रभाव है. वे पारस के फाइनेंशियर भी हैं और टिकट बंटवारे में उनकी अहम भूमिका मानी जाती रही है. 2014 में सूरजभान की पत्नी को जदयू के कद्दावर नेता ललन सिंह के खिलाफ चुनाव लड़वाया गया था. हालांकि हार का सामना करना पड़ा था. अब सूरजभान पशोपेश में हैं. वो पशुपति के टिकट पर अपने परिवार को लड़ाना चाहते हैं. आरजेडी के टिकट पर लड़ाना नहीं चाहते है।चिराग पासवान और पशुपति पारस के बीच दरार किसी से छिपी नहीं है. एलजेपी में फूट के बाद चिराग ने उन सभी नेताओं को माफ नहीं करने की कसम खाई थी, जिन्होंने पार्टी तोड़ी थी. रामविलास पासवान के करीबी रहे सूरजभान पहले चिराग के टिकट तय करने में अहम भूमिका निभाते थे. वो चिराग पासवान के लिए टिकट का फैसला भी कर रहे थे. किसको टिकट दिया जाएगा, किसको नहीं दिया जाएगा. यह फैसला वो लेते थे।

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