आज होगी मां कात्यायनी की पूजा,जानें मंत्र,आरती और कथा

 आज होगी मां कात्यायनी की पूजा,जानें मंत्र,आरती और कथा
Sharing Is Caring:

चैत्र नवरात्रि का छठा दिन मां कात्यायनी को समर्पित है। मान्यता है कि मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। मां कात्यायनी का जन्म महर्षि कात्यायन के घर हुआ था, इसलिए इनका नाम कात्यायनी पड़ा। नवरात्रि की षष्ठी तिथि आज 3 अप्रैल 2025, गुरुवार को है। जानें नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा मंत्र,आरती और कथा..

मां कात्यायनी के मंत्र:

  1. सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
    शरण्ये त्र्यम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुते ।।
  2. ऊं क्लीं कात्यायनी महामाया महायोगिन्य घीश्वरी,

नन्द गोप सुतं देवि पतिं मे कुरुते नमः।।

मां कात्यायनी की आरती:

जय जय अम्बे जय कात्यायनी।
जय जग माता जग की महारानी॥
बैजनाथ स्थान तुम्हारा। वहावर दाती नाम पुकारा॥
कई नाम है कई धाम है। यह स्थान भी तो सुखधाम है॥
हर मन्दिर में ज्योत तुम्हारी। कही योगेश्वरी महिमा न्यारी॥
हर जगह उत्सव होते रहते। हर मन्दिर में भगत है कहते॥
कत्यानी रक्षक काया की। ग्रंथि काटे मोह माया की॥
झूठे मोह से छुडाने वाली। अपना नाम जपाने वाली॥
बृहस्पतिवार को पूजा करिए। ध्यान कात्यानी का धरिये॥
हर संकट को दूर करेगी। भंडारे भरपूर करेगी॥
जो भी माँ को भक्त पुकारे। कात्यायनी सब कष्ट निवारे॥

मां कात्यायनी की कथा:

पौराणिक कथा के अनुसार वनमीकथ का नाम के महर्षि थे, उनका एक पुत्र था जिसका नाम कात्य रखा गया. इसके बाद कात्य गोत्र में महर्षि कात्यायन ने जन्म लिया, उनकी कोई संतान नहीं थी. उन्होंने मां भगवती को पुत्री के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की, उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर मां भगवती ने उन्हें साक्षात दर्शन दिया. उसके बाद महर्षि कात्यायन ने माता से वरदान मांगा कि वह उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लें. मां भगवाती ने भी उन्हें वचन दिया कि वह उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लेंगी. एक बार तीनों लोकों पर महिषासुर नाम के एक दैत्य ने अत्याचर करना शुरु कर दिया. उसके अत्यचारों से तंग आकर सभी देवताओं ने ब्रह्मा, विष्णु और शिवजी से सहायता से मांगी।तब त्रिदेव के तेज से माता ने महर्षि कात्यायन के घर जन्म लिया. इसलिए माता के इस स्वरूप को कात्यायनी के नाम से जाना जाता है. माता के पुत्री के रूप में पधारने के बाद महर्षि कात्यायन ने सबसे पहले उनकी पूजा की. तीन दिनों तक महर्षि की पूजा स्वीकार करने के बाद माता ने वहां से विदा ली और महिषासुर, शुंभ निशुंभ समेत कई राक्षसों के आतंक से संसार को मुक्त कराया. माता कात्यायनी को ही महिषासुरमर्दिनी के नाम से भी जाना जाता है।

Comments
Sharing Is Caring:

Related post