निर्णायक भूमिका में इस बार रहेंगे मुस्लिम वोटर्स,इस पार्टी के लिए बनेंगे मुश्किलें!

बिहार में सरकार बनाने में मुस्लिम वोटर निर्णायक की भूमिका में रहे हैं. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 भी नजदीक है. इसबार महागठबंधन, एनडीए के अलावे एआईएमआईएम और प्रशांत किशोर के कैंडिडेट आमने-सामने होंगे. सवाल उठता है कि इसबार किस दल को MY समीकरण का फायदा मिलेगा? एक समय था जब 1990 से लेकर 2005 तक यादव और मुस्लिम वोटर राजद के साथ खड़ा था. हालांकि इसके बाद बीच में गड़बड़ी भी हुई, लेकिन 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में फिर से राजद को फायदा हुआ और बिहार की सबसे बड़ी पार्टी बनी, लेकिन सरकार नहीं बना पायी।महागठबंधन की सरकार नहीं बनने का कारण सीमांचल में राजनीति चमका रही पार्टी AIMIM रहा. आरजेडी का MY समीकरण विधानसभा चुनाव 2020 में टूटटे नजर आया जब सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले सीमांचल के इलाके में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने मुसलमान की वोट बैंक में सेंधमारी की. पहली बार 5 सीटों पर जीत हासिल की. अन्य विधानसभा क्षेत्र में ओवैसी की पार्टी को अच्छे वोट मिले.

इसलिए इसका नुकसान तेजस्वी यादव को उठाना पड़ा.सीमांचल में पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज, अररिया, सुपौल जैसे जिले आते हैं. इनमें कुल 24 विधानसभा सीटें आती है और इस इलाके में ज्यादातर पिछड़ी जाति के लोग आते हैं. हालांकि, इसमें 47% आबादी मुसलमानों की है. इस लिहाज से इस इलाके में मुस्लिम वोट काफी अहम माने जाते हैं. ओवैसी ने पिछले चुनाव में सीमांचल के इन्हीं इलाकों में अपने ज्यादातर प्रत्याशी को भी उतारा था.पिछले विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने 20 उम्मीदवारों को मौका दिया था. इनमें से 14 मुस्लिम बहुल सीमांचल क्षेत्र से थे. बाकी सीटें मिथिलांचल की थी. ओवैसी की पार्टी को अमौर, कोचाधामन, जोकीहाट, बायसी और बहादुरगंज सीट पर जीत मिली. यह सारे के सारे सीमांचल से ताल्लुक रखते हैं.मुस्लिम जनसंख्या के लिहाज से देखा जाए तो किशनगंज में करीब 70% आबादी मुसलमानों की है. अररिया में 42 और कटिहार में करीब 38% मुसलमान हैं. सीमांचल का यह क्षेत्र में महागठबंधन के लिए बहुत अहम है. सीमांचल के लोगों ने पिछले विधानसभा चुनाव में ओवैसी को चुनकर महागठबंधन के लिए बड़ी चुनौती पेश कर दी थी. हालांकि इसबार ओवैसी की पार्टी राजद से गठबंधन चाहती थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ. AIMIM प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान ने कहा कि 2025 विधानसभा चुनाव से पहले ओवैसी की पार्टी की तरफ से लालू प्रसाद को पत्र लिखा गया था. विपक्षी वोटो का बिखराब ना हो इसीलिए AIMIM इंडिया गठन का हिस्सा बनना चाहती है, लेकिन इस पर राजद की तरफ से कोई संदेश नहीं मिला.2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल को उम्मीद है कि इस बार सभी अल्पसंख्यक एकजुट होकर राजद एवं इंडिया गठबंधन के पक्ष में अपना वोट डालेंगे. राजद के वरिष्ठ नेता अली अशरफ ने दावा किया कि जितने अल्पसंख्यक वोटर हैं, वे महागठबंधन को वोट करेंगे और तेजस्वी यादव सीएम बनेंगे।