बढ़ाई जाएगी संसद की स्थायी समितियों के कार्यकाल का समय,जानिए आखिर क्यों?

 बढ़ाई जाएगी संसद की स्थायी समितियों के कार्यकाल का समय,जानिए आखिर क्यों?
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संसद की स्थायी समितियों के कार्यकाल बढ़ाने की तैयारी शुरू हो गई है. लंबे समय से मांग की जा रही थी कि समितियों का कार्यकाल को बढ़ाया जाए, ताकि काम में निरंतरता और सुधार लाया जा सके.सांसदों की मांग के बाद सरकार संसदीय स्थायी समितियों के कार्यकाल को एक साल से बढ़ाकर दो साल करने पर विचार कर रही है. यह बदलाव खास तौर से समितियों के कामकाज में निरंतरता बनाए रखना और विधेयकों, महत्वपूर्ण मामलों को अच्छे से करने की उनकी क्षमता को मजबूत करने के लिए किया जा रहा है.हाल में में स्थायी समितियों का गठन हर साल किया जाता है और उनका कार्यकाल 26 सितंबर को पूरा हो जाता है. कई सांसदों ने चिंता जताई है कि एक साल का छोटा कार्यकाल समितियों के लिए चयनित विषयों के लिए काफी नहीं है और गुणवत्तापूर्ण काम करने में रुकावट है.

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सांसदों का कहना है कि हर साल नए सदस्यों के आने से काम की निरंतरता टूटती है और काम प्रभावित होता है. अब सांसदों के इस अनुरोध पर सरकार विचार कर रही है और जल्द ही फैसला लिया जा सकता है.अगर समितियों के कार्यकाल दो साल कर दिया गया, तो इसके कई फायदे देखने को मिलेंगे. समितियों के पास विधेयकों, बजट और विभिन्न रिपोर्टों को ज्यादा गहराई से समझने और उनकी छानबीन करने के लिए और ज्यादा समय मिल सकेगा.सदस्यों के दो साल तक बने रहने से समितियों के काम में स्थिरता आएगी और लंबे प्रोजेक्ट बेहतर तरीके से पूरे हो सकेंगे. सदस्यों में ज्यादा समय मिलने से विभागों और विषयों की बेहतर समझ विसकसित हो सकेगी.खबरों के मुताबिक के कार्यकाल बढ़ने के बावजूद, ज्यादातर समितियों के अध्यक्ष पद वैसे ही बने रह सकते हैं. हालांकि, सरकार कुछ सांसदों की मांगों के आधार पर कुछ समितियों के सदस्यों में बदलाव कर सकती है. बता दें, समिति के सदस्यों का चयन संबंधित राजनीतिक दलों द्वारा भेजे गए नामों के आधार पर होता है.इस कदम का एक राजनीतिक पहलू भी है कि विदेश मामलों की स्थायी समिति के अध्यक्ष शशि थरूर हैं, जिनकी अपनी पार्टी कांग्रेस के साथ कुछ मतभेद चर्चा में रहे हैं।

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