इन सीटों पर बड़े नेताओं की दांव पर लगेगी किस्मत,जानिए कौन है वो नाम?

 इन सीटों पर बड़े नेताओं की दांव पर लगेगी किस्मत,जानिए कौन है वो नाम?
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बिहार में विधानसभा चुनावों का बिगुल बज चुका है। इस सूबे में 6 और 11 नवंबर को वोटिंग होगी, जबकि 14 नवंबर को नतीजे आएंगे। हालांकि, अभी तक प्रमुख राजनीतिक दलों ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है, लेकिन कुछ विधानसभा सीटों पर कांटे की टक्कर के आसार दिख रहे हैं। इन सीटों में कुछ ऐसी भी सीटें शामिल हैं जहां पर लंबे समय से एक ही शख्स या परिवार का दबदबा रहा है।आइए, जानते हैं उन 5 खास सीटों के बारे में जहां इस बार सियासी जंग दिलचस्प हो सकती है।वैशाली जिले की राघोपुर सीट पर सबकी नजरें टिकी हैं। यह सीट राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव का गढ़ मानी जाती है। इस सीट से तेजस्वी के पिता लालू प्रसाद यादव और मां राबड़ी देवी भी विधानसभा पहुंच चुके हैं। यादव बहुल इस सीट पर तेजस्वी जीत की हैट्रिक लगाने की तैयारी में हैं।

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लेकिन, जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर के चुनाव लड़ने की चर्चा ने इस सीट को हाई-प्रोफाइल बना दिया है। अगर प्रशांत किशोर मैदान में उतरते हैं, तो यह बिहार की सबसे चर्चित सियासी जंग होगी।राघोपुर के बगल में स्थित महुआ सीट भी सुर्खियों में है। 2020 में इस सीट से तेजस्वी के बड़े भाई तेज प्रताप यादव ने जीत हासिल की थी। लेकिन, पार्टी को लगा कि तेज प्रताप को दोबारा उतारने से सीट के हार जाने का खतरा है। इसलिए, उन्हें समस्तीपुर के हसनपुर भेज दिया गया, और तेजस्वी के करीबी मुकेश रौशन ने महुआ में RJD का परचम लहराया। इस बार तेज प्रताप ने अपनी पार्टी बना ली है और महुआ में ‘वापसी’ की घोषणा की है, जिससे उनके और तेजस्वी के बीच तनातनी की खबरें हैं। तेज प्रताप के हालिया बयानों ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है।मोकामा की विधानसभा सीट बाहुबली अनंत कुमार सिंह का गढ़ रही है। 1990 से यह सीट उनके परिवार के पास रही है, सिवाय एक छोटे से दौर के, जब उनके प्रतिद्वंद्वी ने इसे छीना था। 2022 में अनंत सिंह की सजा के बाद उनकी पत्नी नीलम देवी ने इस सीट पर कब्जा जमाया। लेकिन, अब पटना हाईकोर्ट से बरी होने के बाद अनंत सिंह खुद मैदान में उतर सकते हैं या अपने जुड़वां बेटों में से किसी एक को उतार सकते हैं। नीलम देवी पिछले साल NDA में शामिल हो गई थीं, और अब अनंत सिंह को JDU से टिकट मिलने की संभावना है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अनंत का बड़ा समर्थक माना जाता है।मोकामा में अनंत सिंह की बादशाहत को कड़ी चुनौती मिल सकती है।दूसरी ओर, RJD ने अनंत सिंह, जिन्हें ‘छोटे सरकार’ कहा जाता है, को कड़ी टक्कर देने की ठानी है। संभावित उम्मीदवारों में बाहुबली सूरजभान सिंह का नाम है, जो राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के साथ हैं, जो अब RJD के नेतृत्व वाले I.N.D.I.A. गठबंधन का हिस्सा है। इसके अलावा, अनंत सिंह के पुराने साथी रहे सोनू और मोनू भी सियासी महत्वाकांक्षा पाले हुए हैं। मोकामा के ही एक और बाहुबली अशोक महतो ने भी अनंत सिंह को चुनौती देने का ऐलान किया है। उनकी पत्नी अनीता पिछले साल मुंगेर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ चुकी हैं।बिहार की शिवहर विधानसभा सीट पर चेतन आनंद की साख दांव पर है। 2020 में RJD के टिकट पर जीते चेतन लोकसभा चुनाव से पहले NDA में शामिल हो गए। उनकी मां लवली आनंद ने JDU के टिकट पर शिवहर लोकसभा सीट जीती। अगर चेतन यह सीट नहीं बचा पाए, तो न सिर्फ उनकी, बल्कि नीतीश कुमार की भी किरकिरी होगी, जिन पर चेतन के पिता आनंद मोहन को जेल से रिहा कराने के लिए नियमों में बदलाव करने का आरोप है।हरनौत विधानसभा सीट नीतीश कुमार का गढ़ मानी जाती है, भले ही उन्होंने 30 साल से विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा हो। 1985 में नीतीश ने यहीं से सियासी पारी शुरू की थी और 1995 में भी जीत हासिल की थी। तब उनकी समता पार्टी लालू प्रसाद की जनता दल से कमजोर थी। यह सीट हमेशा समता पार्टी और अब JDU के पास रही है। चर्चा है कि 74 साल के नीतीश अगर ‘वंशवाद’ से परहेज छोड़ दें, तो उनके बेटे निशांत कुमार को JDU से टिकट मिल सकता है।हरनौत से नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार के चुनाव लड़ने की चर्चा चलने लगी है।कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि बिहार की इन सीटों पर सियासी दांवपेच, बाहुबल, और परिवारवाद का अनोखा संगम देखने को मिलेगा। इन सीटों के नतीजे न सिर्फ उम्मीदवारों, बल्कि पूरे बिहार की सियासत की दिशा तय करेंगे। अब देखना यह है कि इन हाई-वोल्टेज सीटों पर कौन बाजी मारता है।

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