मिट्टी जांच से मिलेगी वैज्ञानिक सलाह,खेती होगी ज्यादा लाभकारी,बिहार के हर प्रखंड में बनेगी मिट्टी जांच प्रयोगशाला

बिहार के किसानों को अब अपनी खेतों की मिट्टी की सेहत जांचने के लिए दूर नहीं जाना होगा। राज्य सरकार की मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरता योजना के तहत इस वित्तीय वर्ष में प्रदेश के सभी 470 प्रखंडों में ग्राम स्तरीय मिट्टी जांच प्रयोगशालाओं की स्थापना की जाएगी। यह घोषणा बिहार के उप मुख्यमंत्री-सह-कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने की। उन्होंने कहा कि इस पहल से किसानों को सस्ती, सुलभ और वैज्ञानिक कृषि तकनीक का लाभ मिलेगा, जिससे कृषि की उत्पादकता तो बढ़ेगी ही, साथ ही खेती की लागत में भी कमी आएगी।विजय सिन्हा ने बताया कि इन प्रयोगशालाओं के माध्यम से स्थानीय किसानों को उनके खेतों की मिट्टी का वैज्ञानिक परीक्षण उपलब्ध कराया जाएगा। इस जांच के जरिए उन्हें यह जानकारी मिलेगी कि उनकी भूमि में कौन-कौन से पोषक तत्वों की कमी है,

कौन-सी फसलें ज्यादा उपयुक्त होंगी और उर्वरकों का किस प्रकार उपयोग करना चाहिए। इससे किसानों को अपने खेतों की उर्वरता बढ़ाने, उत्पादन में सुधार लाने और बेहतर फसल चक्र अपनाने में मदद मिलेगी।उप मुख्यमंत्री ने कहा कि इन प्रयोगशालाओं की स्थापना से ग्रामीण स्तर पर कृषि तकनीक की पहुंच सुनिश्चित होगी। साथ ही शिक्षित बेरोजगार युवाओं को इस क्षेत्र में स्वरोजगार के अवसर मिलेंगे। वर्तमान में राज्य के विभिन्न प्रखंडों में कुल 72 ग्राम स्तरीय मिट्टी जांच प्रयोगशालाएं कार्यरत हैं। अब इसे विस्तार देते हुए प्रत्येक प्रखंड में एक प्रयोगशाला स्थापित की जा रही है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि जागरूकता और तकनीकी सहायता को बढ़ावा मिलेगा।विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि राज्य सरकार की यह पहल सिर्फ किसानों की आमदनी बढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बिहार को कृषि के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी एक अहम कदम है। जब किसान अपने खेत की मिट्टी को समझेगा, तो वह बेहतर निर्णय ले पाएगा और अनावश्यक खर्च से बचते हुए ज्यादा मुनाफा कमा सकेगा। सरकार का उद्देश्य है कि हर किसान को वैज्ञानिक पद्धति से खेती के लिए प्रेरित किया जाए।