मुस्लिम-यादव समीकरण से मजबूत है RJD,इस बार चुनाव में दिखेगा प्रशांत का जलवा?

 मुस्लिम-यादव समीकरण से मजबूत है RJD,इस बार चुनाव में दिखेगा प्रशांत का जलवा?
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बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो चली है. तमाम राजनीतिक दल अपनी-अपनी तैयारियों में लगे हुए हैं. हालांकि अब तक चुनाव आयोग की तरफ से चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं किया गया है. इस बीच एक्सिस माई इंडिया के सीएमडी प्रदीप गुप्ता ने बिहार चुनाव को लेकर बातचीत की है. उन्होंने साफ किया इस चुनाव में प्रशांत किशोर कुछ सीटें जरूर जीत सकते हैं, लेकिन सत्ता में आना बहुत दूर की बात है.मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में एक्सिस माई इंडिया के सीएमडी प्रदीप गुप्ता ने बिहार चुनाव में सभी राजनीतिक दलों की मौजूदा स्थिति को लेकर चर्चा की है. उन्होंने कहा कि “बीजेपी-एनडीए समर्थक चाहते हैं कि वे कम से कम एक बार और सत्ता में आएं.उन्होंने कहा कि सभी जानते हैं कि हर जगह (बीजेपी के लिए) चेहरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं.

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बीजेपी ने छत्तीसगढ़ में बिना किसी मुख्यमंत्री पद के चेहरे के भी जीत हासिल की थी. जबकि कांग्रेस की वहां पहले से ही मजबूत स्थिति थी. बिहार में, कई फैक्टर हैं, खासकर जातियां और पार्टियां होने के कारण यहां का चुनाव बिल्कुल अलग होने वाला है.बिहार में प्रशांत किशोर किन जन सुराज पार्टी भी इस बार मैदान में उतरने वाली है. इसको लेकर प्रदीप गुप्ता ने कहा कि प्रशांत किशोर इस बार कुछ सीटें जीत सकते हैं, लेकिन सत्ता में आना बहुत दूर की बात है. ये बात भी है कि उनकी लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है. दो साल से वो लगातार बिहार में सभाएं और रैलियां कर रहे हैं. हालांकि वोट हासिल करना एक अलग बात है. इतने बड़े सार्वजनिक क्षेत्र में विश्वास पैदा करना आसान नहीं है.एक्सिस माई इंडिया के सीएमडी प्रदीप गुप्ता ने कहा कि बिहार एक ऐसा राज्य है, जहां वोटिंग हो जाने के बाद भी विश्लेषण या फिर अनुमान लगाना मुश्किल है. विश्लेषण का पहला पैमाना सत्ता विरोधी लहर की सीमा है. बिहार में, यह बहुत अलग है, लेकिन एकमात्र सामान्य कारक नीतीश कुमार हैं, जो 20 वर्षों से वहां हैं.उन्होंने कहा कि ऐसे में सवाल उठता है कि नीतीश की जगह दूसरा विकल्प क्या है? पिछले 20-30 सालों में, बिहार जाति जनगणना कराने वाला एकमात्र राज्य रहा है. मुस्लिम-यादव समीकरण लगभग 32% है. इस प्रकार, लंबे समय तक विपक्ष में रहने के बावजूद आरजेडी ने अपनी उपस्थिति नहीं खोई है. पिछली बार आरजेडी जीतती दिख रही थी, लेकिन अगर लोजपा ने एनडीए के साथ चुनाव लड़ा होता, जैसा कि अभी है, तो एनडीए को 138 सीटें मिलतीं।

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