मुश्किल में राजा भैया,समझिए क्या है पूरी कहानी?

 मुश्किल में राजा भैया,समझिए क्या है पूरी कहानी?
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विजयादशमी का पावन पर्व उत्तर प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में इस बार सिर्फ धार्मिक उत्साह का प्रतीक नहीं रहा, बल्कि एक तीखे पारिवारिक और राजनीतिक विवाद का केंद्र भी बन गया. कुंडा से कई बार विधायक और जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुंवर रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने अपने बेंती स्थित राजभवन में शस्त्र पूजन किया. लेकिन इस बार की पूजा ने सुर्खियां बटोरीं, क्योंकि एक लंबी मेज पर सजे करीब 700 से अधिक हथियारों की चमचमाती नुमाइश ने सवालों का दौर शुरू कर दिया. ये हथियार कहां से आए? ये किसके हैं और क्या ये वाकई वैध हैं?हर साल दशहरे पर राजा भैया शस्त्र पूजन की परंपरा निभाते हैं, जो सनातन धर्म की प्राचीन रस्म है. मान्यता है कि भगवान राम ने रावण पर विजय के बाद अपने अस्त्र-शस्त्रों की पूजा की थी, ताकि धर्म की रक्षा में ये शस्त्र हमेशा मजबूत रहें. इस बार भी बेंती महल में हनुमान जी की मूर्ति के सामने पुरोहितों के मंत्रोच्चार के बीच पूजा हुई.

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लेकिन वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही विवाद भड़क उठा. एक वीडियो में राजा भैया खुद हथियारों को स्पर्श करते नजर आ रहे हैं, तो दूसरे में दर्जनों पिस्टल, रिवॉल्वर, 12 बोर बंदूकें, राइफलें और थर्टी कारबाइन जैसी आधुनिक असलहों की कतारें सजी दिख रही हैं.इस नुमाइश की टाइमिंग संयोग नहीं थी. कुछ हफ्ते पहले राजा भैया की पत्नी कुंवर भानवी सिंह ने एक वीडियो जारी कर उन पर गंभीर आरोप लगाए थे. भानवी ने दावा किया कि उनके पति के पास अवैध विदेशी हथियारों का विशाल जखीरा है, जो विध्वंसक हो सकता है. उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री को शिकायत भी की, जिसके बाद पुलिस ने प्रारंभिक जांच शुरू कर दी.भानवी ने कहा था, ये हथियार न केवल अवैध हैं, बल्कि मेरी जान को भी खतरा पैदा कर रहे हैं. उनके इस बयान ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी और कुछ ने इसे पारिवारिक कलह का रूप दिया तो कुछ ने राजा भैया की ‘ताकत’ पर सवाल उठाए. राजा भैया ने इन आरोपों का जवाब पूजा के जरिए दिया।पूजन के बाद राजा भैया ने कहा, ये सारे शस्त्र हमारे हैं. जो हमारा है, वो समर्थकों का है और जो समर्थकों का है, वो हमारा है. उनके करीबी ने स्पष्ट किया कि ये हथियार राजा भैया के व्यक्तिगत नाम पर लाइसेंसी हैं. इसके अलावा उनके बेटे, 700 से अधिक पारिवारिक सदस्यों, नौकरों और करीबियों के नाम पर भी वैध लाइसेंस हैं. भाई और विधान परिषद सदस्य अक्षय प्रताप सिंह के है. ये दशहरा की परंपरा है, और जो देखना चाहे, आकर देख ले. वीडियो में वे हंसते हुए कहते दिख रहे हैं कि ये शस्त्र धर्म रक्षा के प्रतीक हैं, न कि हिंसा के.

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