पटना में खूब गरजे राहुल गांधी,लड़ाई संविधान और मनुवाद के बीच है

 पटना में खूब गरजे राहुल गांधी,लड़ाई संविधान और मनुवाद के बीच है
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सांसद राहुल गांधी संविधान सुरक्षा सम्मेलन में शामिल होने शनिवार को पटना पहुंचे, जहां उन्होंने सबसे पहले तेजस्वी यादव से मुलाकात की और फिर बापू सभागार में आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिया. बापू सभागार में लोगों को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा कि देश में दलितों और पिछड़ों की आवाज को दबाया गया, लेकिन ये संविधान लाखों करोड़ों लोगों की आवाज है. इस संविधान ने उस दर्द को पूरी तरह नहीं पर थोड़ा कम जरूर किया है. उन्होंने आरोप लगाया कि आरएसएस समेत कुछ चुनिंदा संगठन और कुछ औद्योगिक घराने देश को चला रहे हैं।राहुल गांधी ने कहा, “आज जब मैं आ रहा था गंगा जी की ओर देखा, मैं सोच रहा था कि ये लगती तो नदी है. मैं देख रहा हूं कि नदी एक है.

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मगर पानी सब जगह है. आपने रोटी खाई पानी पिया वो पानी सब में है, जैसे गंगा का पानी सब जगह जाता है वैसे ही संविधान की सोच हर व्यक्ति और संस्था के अंदर गंगा के पानी की तरह जाए”. उन्होंने कहा कि मोहन भागवत कहते हैं कि आजादी को 15 अगस्त 1947 को नहीं बाद में मिली. अगर वो ऐसा कहते हैं तो वो इसे (संविधान) को नकार रहे हैं. वो इसके सोशल स्ट्रक्चर से मिटा रहे हैं।राहुल गांधी ने आगे कहा, चाहते थे कि इसे उठा कर फेक दूं. मगर हिंदुस्तान की जनता ने कहा इसको सिर पर नहीं रखा तो जनता आपको फेंक देगी. फिर मोदी आए चुनाव बाद इसको मत्था टेका. आज के हिंदुस्तान में एमपी के पास पॉवर नहीं है. मैं मिलता हूं बीजेपी के दलित एमपी से कहते हैं कि हमें पिंजड़े में बांध कर यहां कैद कर रखा है. कहां लिखा है इस संविधान में कि हिंदुस्तान का पूरा धन दो तीन लोगों के हाथ में जाना चाहिए. इन कंपनियों के मैनेजमेंट की लिस्ट निकालो उसमें एक पिछड़े, दलित का नाम दिखा दो।मीडिया में एंकर और मालिक की लिस्ट निकालिए और एक का नाम दिखा दीजिए. किसान और बेरोज़गार की बात क्यों नहीं करते. फिर मैंने लिस्ट निकाली एक भी दलित पिछड़े लोग नहीं दिखे प्राइवेट कंपनी की लिस्ट निकालिए और देखिए कि एक पिछड़े और दलित का नाम है ही नहीं. मैं एम्स गया था मिलने, खाने को नहीं, टॉयलेट्स नहीं है. प्राइवेट अस्पताल जा नहीं सकते लोग. एम्स में लोग मर रहे हैं, लेकिन प्राइवेट अस्पताल की लिस्ट निकालिए आप जा ही नहीं सकते उसमें. GST आप देते हो. आपकी जेब से पैसा निकलता है, प्राइवेट अस्पताल में आपका पैसा जाता है. आपकी जेब से पैसे ट्रांसफ़र हो रहे हैं।पिछड़े लोग आबादी की 50% हैं. कोई जानता नहीं है. दलितों की 15% और आदिवासी की 8% है. तकरीबन 90% हैं, जो हैं. हिंदुस्तान की सरकार 100 रुपये बांटती है तो बजट में भागीदारी 5% है. आपकी भागीदारी 6% और आपकी आबादी 90% है. पहला कदम हमें ये पता है क्या है, जातीय जनगणना है, राहुल गांधी ने कहा ये फेक वाला नहीं, जो इन्होंने ( नीतीश सरकार) किया है. जातीय जनगणना के आधार पर पॉलिसी बननी चाहिए. मजदूरों को मुआवजा नहीं मिलता. जातीय जनगणना से पता लगेगा कि किसकी कितनी आबादी है और कितनी भागीदारी है. बिना जातीय जनगणना के विकास की बात नहीं की जा सकती है. लड़ाई संविधान और मनुवाद के बीच में है।

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