थाइलैंड में आया सियासी भूचाल,एक गलती से प्रधानमंत्री की चली गई कुर्सी

भारत के पड़ोसी देश थाइलैंड में सियासी भूचाल आया हुआ है. एक फोन कॉल की वजह से प्रधानमंत्री पैतोंगटार्न शिनावात्रा की कुर्सी चली गई है. कोर्ट ने प्रधानमंत्री शिनावात्रा को निलंबित कर दिया है. यह फैसला कंबोडिया की सीनेट के अध्यक्ष हुन सेन के साथ फोन पर बातचीत के बाद लिया गया. शिनावात्रा की हुन सेन से बातचीत ऐसे समय हुई जब सीमा पर थाइलैंड और कंबोडिया के सैनिकों की झड़प हुई थी.28 मई को सीमा पर दोनों देशों की सेना आमने-सामने आ गई थीं. इसके बाद 15 जून को शिनावात्रा की हुन सेन से फोन पर बात हुई थी. दोनों की बातचीत लीक हो गई थी. इसके बाद थाईलैंड में राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया.

विरोधियों ने शिनावात्रा पर राष्ट्रीय हितों से समझौता करने और सैन्य अधिकार को कमजोर करने का आरोप लगाया.हुन सेन ने शिनावात्रा से बातचीत के दौरान कॉल को रिकॉर्ड किया था. बाद में उन्होंने लीक कर दी. हुन सेन ने दावा किया कि उन्होंने रिकॉर्ड की गई बातचीत को 80 से ज़्यादा लोगों के साथ शेयर किया था.बातचीत में शिनावात्रा और हुन सेन को थाईलैंड-कंबोडिया सीमा तनाव को हल करने और संघर्ष के बाद लगाए गए प्रतिबंधों को कम करने के बारे में चर्चा करते हुए सुना गया. कई रिपोर्टों के अनुसार, शिनावात्रा ने फोन कॉल में हुन सेन को अंकल कहा. हुन सेन शिनावात्रा के पिता थाकसिन शिनावात्रा के करीबी दोस्त हैं, जो थाईलैंड के प्रधानमंत्री भी रह चुके हैं.उन्होंने कथित तौर पर हुन सेन से थाईलैंड में दूसरे पक्ष की बात न सुनने का आग्रह किया और एक मुखर थाई सेना कमांडर को निशाना बनाया जिसने कंबोडिया की आलोचना की थी. लीक हुए फोन कॉल में शिनावात्रा को सेना कमांडर को एक विरोधी के रूप में लेबल करते हुए भी सुना गया है.शिनावात्रा यहीं नहीं रुकीं. सेना कमांडर का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वह बस कूल दिखना चाहते हैं. एपी की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने हुन सेन से यह भी कहा कि वह उन्हें बताएं कि वह क्या चाहते हैं और वादा किया कि वह इसे मैनेज करने की कोशिश करेंगी. रिपोर्ट में कहा गया कि आलोचकों ने इस टिप्पणी को अत्यधिक समझौतावादी माना, जिससे थाईलैंड की कूटनीतिक और सैन्य स्थिति को नुकसान पहुंचने की संभावना है.एपी की रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि शिनावात्रा ने माफी मांगी, लेकिन उन्होंने बातचीत की रणनीति के तहत अपने शब्दों का बचाव किया और राष्ट्रीय हितों को किसी भी तरह के नुकसान से इनकार किया.28 मई को थाई-कंबोडियन सीमा पर विवादित क्षेत्र में गोलीबारी हुई थी. दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर आरोप लगाया और आत्मरक्षा का दावा किया. इस घटना ने लंबे समय से चले आ रहे क्षेत्रीय तनाव को फिर से भड़का दिया, हालांकि बाद में दोनों सरकारों ने तनाव कम करने का इरादा जताया.इसके बावजूद जवाबी कार्रवाई जारी रही. थाईलैंड ने सीमा पर कड़े प्रतिबंध लगाए. केवल आवश्यक जरूरतों के लिए ही सीमा पार करने की अनुमति दी. कंबोडिया ने थाई मीडिया पर प्रतिबंध लगाकर, फलों और सब्जियों के आयात को रोककर और थाई बिजली और इंटरनेट कनेक्शन का बहिष्कार करके जवाब दिया. देश ने थाईलैंड से ईंधन आयात को भी निलंबित कर दिया।