16 सीटों से कम पर नहीं मानेंगे नीतीश कुमार,राजद को हीं कांग्रेस और लेफ्ट से करना होगा समझौता

लोकसभा के चुनाव को लेकर एनडीए (NDA) के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए इंडिया गठबंधन के नेता तो तैयार हैं, लेकिन सीटों के बंटवारे को लेकर अभी कुछ भी साफ नहीं हो सका है. बिहार में इसकी तस्वीर भी अलग ही दिख रही है. जिसका डर था उसी के संकेत भी मिल रहे हैं. बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं और महागठबंधन में दबाव की राजनीति शुरू है, जिस कारण खींचतान की स्थिति बन गई है. गठबंधन के सभी दल सीटों को लेकर अपना दावा जता रहे हैं, जिससे तय माना जा रहा है कि सीट बंटवारा आसान नहीं है.जेडीयू अपनी सीटिंग सीट को लेकर 16 से 17 सीटों पर दावा जता रही है, वहीं, गठबंधन में सहयोगी कांग्रेस ने 9 से लेकर 10 सीटों पर दावा जताया है।

वामपंथी दलों में भाकपा की तीन और भाकपा (माले) की ओर से पांच सीटों की दावेदारी सामने आई है. इतना तय माना जा रहा है कि बिहार विधानसभा में सबसे बड़े दल और गठबंधन की सहयोगी आरजेडी भी उतनी ही सीटें अपने पास रखेगी, जितनी सीटें जेडीयू के हिस्से में होगी.भाकपा राज्य सचिव रामनरेश पांडेय ने कहा कि हम दर्जन भर सीटों पर लड़ना चाहते थे, लेकिन, बेगूसराय, बांका और मधुबनी तो लड़ेंगे ही. भाकपा (माले) के धीरेंद्र झा, राजाराम सिंह, केडी यादव ने उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से मिलकर अपने कोटे की 5 सीटों की सूची सौंप दी.राज्य में लोकसभा की सीटें 40 हैं, ऐसे में बड़ा सवाल है कि आखिर सीट बंटवारे को मामला कैसे सुलझेगा? इंडिया गठबंधन को लेकर यही कहा जा रहा था कि बिहार में आसानी से सीट बंटवारा हो जाएगा. अब कहा जा रहा है कि सभी सहयोगी दल दबाव की राजनीति कर रहे हैं. हालांकि लगभग तय माना जा रहा है कि जनवरी में सीटों को लेकर तस्वीर साफ हो सकती है।