नीतीश सरकार इन नए चेहरों को बनाने जा रही है मंत्री,जान लीजिए नाम!

 नीतीश सरकार इन नए चेहरों को बनाने जा रही है मंत्री,जान लीजिए नाम!
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बिहार में अशुभ महीने के तौर पर खरमास माना जाता है. इस दौरान कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता है. राजनीतिक दल इस महीने को काफी अहम मानते हैं और अपने सारे महत्वपूर्ण निर्णयों को खरमास के बाद ही मूर्त रूप देते हैं. 16 दिसंबर 2025 से शुरू हुआ खरमास 14 जनवरी 2026 तक है. यानी कि 15 जनवरी से खरमास खत्म होने के बाद शुभ कार्यों की शुरुआत होगी. ऐसे में 15 जनवरी के बाद बिहार में मंत्रिमंडल का विस्तार तय माना जा रहा है.बिहार विधानसभा चुनाव के बाद नीतीश मंत्रिमंडल में नीतीश कुमार के अलावा 26 मंत्री बनाए गए थे, लेकिन बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनने के बाद नितिन नबीन का भी इस्तीफा हो गया है. ऐसे में अब 25 मंत्री ही रह गये हैं।बिहार विधानसभा में विधायकों की संख्या के हिसाब से मुख्यमंत्री सहित कुल 36 मंत्री बनाए जा सकते हैं. ऐसे में अभी 10 मंत्री और नीतीश कुमार बना सकते हैं, जिसमें जदयू कोटे से 6 और भाजपा कोटे से चार मंत्री होंगे. चर्चाओं के अनुसार खरमास के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार होगा.दिल्ली दौरे में मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री के साथ भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से भी इस संबंध में बातचीत की है. जदयू- बीजेपी अपने कुछ पुराने मंत्रियों को भी मंत्रिमंडल में फिर से जगह दे सकता है तो वहीं कुछ नए चेहरे देखने को भी मिलेंगे नीतीश कुमार की नजर दूसरे दलों पर भी है तो मंत्रिमंडल में कुछ नया देखने को भी मिल सकता है।बिहार विधानसभा में कुल 243 विधायक हैं तो वहीं विधान परिषद में भी 75 सदस्य हैं, जिसमें से चार सदस्यों का स्थान रिक्त पड़ा है. विधानसभा चुनाव में एनडीए को 202 सीटों पर जीत मिली है. विधानसभा में विधायकों की संख्या के हिसाब से बिहार में 36 मंत्री बनाए जा सकते हैं.नीतीश कुमार जब 2024 में पाला बदलकर एनडीए में शामिल हुए थे. मंत्रिमंडल गठन और फिर जब विस्तार हुआ तब पहली बार मुख्यमंत्री सहित 36 मंत्री मंत्रिमंडल में थे. लेकिन इस बार एनडीए को मिली जबरदस्त जीत के बाद जब मंत्रिमंडल का गठन हुआ तो मुख्यमंत्री सहित 27 मंत्री बनाए गए.

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9 मंत्रियों का स्थान रिक्त रखा गया था।मुख्यमंत्री ने खरमास के बाद मंत्रिमंडल विस्तार की बात कही थी. इस बीच बीजेपी ने नितिन नबीन को बीजेपी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया गया. उसके बाद नितिन नबीन ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. अब 10 मंत्री पद बिहार में खाली हो गए हैं.पिछले दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मिल चुके हैं. अभी जदयू के मुख्यमंत्री सहित 9 मंत्री हैं. वहीं भाजपा के 13 मंत्री हैं, जबकि लोजपा के दो और हम और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के एक-एक मंत्री बनाए गए हैं।मंत्रिमंडल में जातीय और सामाजिक समीकरण का ध्यान रखा गया है. सबसे अधिक ओबीसी वर्ग से आठ, सवर्ण से 8, कुर्मी कुशवाहा से 6 और दलित वर्ग से पांच मंत्री बनाए गए हैं. यदि जातीय हिसाब से देखें तो दलित से 5, राजपूत से 4, कुशवाहा से 3, कुर्मी से 2, वैश्य से 2, यादव से 2, मल्लाह से 2, भूमिहार से 2, ब्राह्मण ,कायस्थ, चंद्रवंशी और मुस्लिम से 1-1 विधायक को स्थान दिया गया है। जदयू ने पिछली बार के जिन मंत्रियों को मंत्री परिषद में शामिल नहीं किया है, उसमें से जयंत राज, रत्नेश सदा, महेश्वर हजारी, विजय मंडल, शीला कुमारी हैं, जो फिर से मंत्री बनने का सपना देख रहे हैं. फिलहाल मंत्री पद को लेकर कुछ भी बोलने से सभी बच रहे हैं. सबका यही कहना है कि नेता ही फैसला लेंगे. इनमें से कुछ को मौका जब मंत्रिमंडल का विस्तार होगा तो मिल सकता है. महेश्वर हजारी दावेदारों में सबसे आगे हैं. महिला में शीला कुमारी को भी जगह मिल सकती है।वहीं भाजपा ने जिन मंत्रियों को इस बार मंत्री परिषद में नहीं लिया है, उसमें नीतीश मिश्रा, रेणु देवी, जनक राम, संतोष सिंह, नीरज कुमार सिंह, केदार प्रसाद गुप्ता, हरि सहनी, राजू कुमार सिंह, मोतीलाल प्रसाद, कृष्ण कुमार मंटू, जीवेश कुमार और संजय सरागवी शामिल हैं।इसके साथ ही पटना से कायस्थ समाज से आने वाले नितिन नवीन भी थे, लेकिन उन्होंने इस्तीफा दे दिया है. कुशवाहा समाज के सुरेंद्र मेहता, राजपूत समाज से आने वाले संजय टाइगर और श्रेयसी सिंह, सुढ़ी वर्ग के अरुण शंकर प्रसाद, यादव समाज के राम कृपाल यादव, पासवान के लखेंद्र पासवान, मल्लाह समाज के रमा निषाद और अति पिछड़ा वर्ग के नारायण शाह के नाम शामिल हैं।

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