अल्पसंख्यकों के बीच अपनी पैठ बनाने में जुटी मोदी सरकार!करने जा रही है ये काम..

 अल्पसंख्यकों के बीच अपनी पैठ बनाने में जुटी मोदी सरकार!करने जा रही है ये काम..
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भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश में अल्पसंख्यकों के बीच पैठ बनाने की योजना पर काम कर रही है. अब पार्टी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ पूरे प्रदेश में दरगाहों, मस्जिदों, मदरसों, चर्चों और गुरुद्वारों जैसे धार्मिक स्थलों के बाहर बैठकें करेगा, ताकि ऑपरेशन सिंदूर की कामयाबी और अल्पसंख्यकों के लिए चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं का प्रचार किया जा सके।यूपी बीजेपी अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष कुंवर बासित अली ने मीडिया को बताया कि पार्टी कल बुधवार से अल्पसंख्यकों के बीच उनके अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए संविधान की पॉकेट-साइज कॉपी बांटने का अभियान शुरू करेगी।उन्होंने कहा कि साथ ही नरेंद्र मोदी सरकार के 11 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में उत्तर प्रदेश के सभी प्रमुख शहरों में ‘अल्पसंख्यकों का पैगाम, मोदी के साथ मुसलमान’ के बैनर तले सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे. इस तरह का पहला आयोजन लखनऊ के अटल बिहारी वाजपेयी कन्वेंशन सेंटर में 12 जून यानी गुरुवार को होगा।बासित अली ने कहा कि प्रकोष्ठ अकादमिक रूप से शानदार प्रदर्शन करने वाले मदरसा के छात्रों को सम्मानित करने के लिए ‘देश का पैगाम, प्रतिभा को सम्मान’ नामक एक कार्यक्रम भी आयोजन करेगा. साथ ही पार्टी ड्यूटी के दौरान शहीद हुए लोगों के परिजनों को भी सम्मानित करेगी।पार्टी की इस रणनीति का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “यह अल्पसंख्यकों के साथ विश्वास आधारित राजनीति बनाने की दिशा में एक अहम कदम है.”

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पार्टी अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर प्रदेश के 403 मदरसों में योग से जुड़े कार्यक्रम आयोजित करने वाली है।बासित अली ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की टिप्पणी “संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का” और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस विचार के बीच अंतर भी बताया कि “देश के संसाधनों पर पहला हक गरीबों का है.” उन्होंने कहा कि सच्चर समिति की ओर से मुसलमानों की खराब सामाजिक-आर्थिक स्थिति को उजागर किया गया था, लेकिन इस पर पिछली सरकारों में कोई ध्यान नहीं दिया.उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय में भारी गरीबी के बावजूद पीएम मोदी ने सुनिश्चित किया है कि उनकी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उन तक पहुंचे. मुस्लिम आबादी करीब 20 फीसदी है, लेकिन सरकारी कल्याण कार्यक्रमों के लाभार्थियों में उनकी हिस्सेदारी करीब 40 फीसदी है।

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