वक्फ संशोधन कानून को लेकर बोले मौलाना मदनी,हमें मजबूर होकर अदालत का रास्ता चुनना पड़ा

 वक्फ संशोधन कानून को लेकर बोले मौलाना मदनी,हमें मजबूर होकर अदालत का रास्ता चुनना पड़ा
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वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ दायर याचिका पर गुरुवार को लगातार दूसरे दिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि वक्फ बाईलॉज में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा और नए कानून के तहत बोर्ड और वक्फ काउंसिल में कोई नियुक्ति नहीं की जाएगी. वहीं, जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने इसपर संतोष जताया और कहा कि कोर्ट की सख्त टिप्पणियां उनके रुख की पुष्टि करते हैं.जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि हमें नए कानून के जिन बिंदुओं पर गंभीर आपत्ति थी और जो वक्फ संपत्तियों के लिए अत्यंत विनाशकारी हैं, हमें खुशी है कि वकीलों की पूरी बहस इन्हीं बिंदुओं पर केंद्रित रही. विशेष रूप से सीजेआई संजीव खन्ना ने जिन मुद्दों पर सख्त टिप्पणियां कीं, वे न केवल महत्वपूर्ण हैं बल्कि हमारे इस रुख की पुष्टि भी करते हैं कि हम नए कानून का विरोध करने में पूरी तरह सही पर हैं.मौलाना मदनी ने उन वकीलों का भी शुक्रिया अदा किया जिन्होंने वक्फ और नए वक्फ कानून के संबंध में अदालत में पूरी तैयारी के साथ ठोस और तर्कसंगत बहस की, विशेष रूप से देश मशहूर वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने जो बहस की, वह ऐतिहासिक थी.

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साथ ही हम देश के उन तमाम न्यायप्रिय लोगों, संगठनों और नेताओं का भी आभार व्यक्त करते हैं जो न केवल वक्फ संशोधन कानून का विरोध कर रहे हैं.जमीयत उलमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने आगे कहा कि इस सच्चाई से कौन इनकार कर सकता है कि कानून बनाने का अधिकार सरकार को प्राप्त है, लेकिन यदि इस अधिकार का उपयोग नकारात्मक रूप से और गलत उद्देश्यों के लिए किया जाए तो लोकतांत्रिक तरीके से उसका विरोध आवश्यक हो जाता है. मौलाना ने कहा कि नए कानून की जिन धाराओं पर सीजेआई ने गंभीर चिंता जताई है, हम शुरुआत से ही उनका विरोध करते आए हैं.उन्होंने कहा कि संयुक्त संसदीय समिति के साथ बैठक में भी हमने इन धाराओं को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की थी. ये धाराएं हमारी वक्फ संपत्तियों के लिए बहुत ही विनाशकारी हैं, लेकिन अफसोस कि हमारी बात नहीं सुनी गई. अगर सुनी गई होती, तो हमें इंसाफ के लिए अदालत का रुख नहीं करना पड़ता. मदनी ने कहा जब न्याय के सारे रास्ते बंद कर दिए गए, तो हमें मजबूर होकर कानूनी लड़ाई का रास्ता अपनाना पड़ा.सरकार ने SC से मांगा एक हफ्ते का समयदूसरी ओर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बेंच से अनुरोध किया कि किसी भी तरह का अंतरिम आदेश न दिया जाए. अगली सुनवाई तक जिन संसाधनों पर आपत्ति जताई गई है, उन्हें लागू नहीं किया जाएगा. यानी बोर्ड में नियुक्ति, वक्फ बाइलॉज और घोषित-अघोषित औक़ाफ़ की संपत्तियों पर कोई कार्यवाही नहीं की जाएगी. सॉलिसिटर जनरल ने जवाब दाखिल करने के लिए एक हफ्ते का समय मांगा. साथ ही अनुरोध किया कि वे दस्तावेजों के माध्यम से यह बताना चाहते हैं कि भारत सरकार ने ये संशोधन क्यों किए और इन संशोधनों से किसे नुकसान और किसे लाभ होगा.अगली सुनवाई 5 मई को होगीवहीं, इस मामले में अगली सुनवाई 5 मई को होगी. सीजेआई ने सॉलिसिटर जनरल के अनुरोध को इस शर्त पर स्वीकार किया कि अगली सुनवाई तक इन संशोधनों को लागू नहीं किया जाएगा. इसी बीच अदालत ने एक महत्वपूर्ण आदेश भी जारी किया कि वक्फ संशोधनों के खिलाफ दाखिल सभी याचिकाओं पर सुनवाई करने के बजाय, केवल 5 याचिकाओं पर सुनवाई की जाएगी, और बाकी याचिकाओं को आवेदन के रूप में स्वीकार किया जाएगा, साथ ही केवल पांच वरिष्ठ अधिवक्ताओं की दलीलें सुनी जाएंगी

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