मौलाना मदनी ने दिया विवादित बयान,मोदी सरकार पर लगाया गंभीर आरोप
जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी अपने बयानों की वजह से फिर सुर्खियों में आ गए हैं. मदनी ने फैसलों के लिए न केवल कोर्ट की आलोचना की, बल्कि आरोप लगाया कि कोर्ट सरकार के दबाव में काम कर रही है. मौलाना महमूद मदनी ने सुप्रीम कोर्ट पर सवाल उठाए.भोपाल में जमीयत उलेमा ए हिंद गवर्निंग बॉडी काउंसिल की मीटिंग में मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि बाबरी मस्जिद और तलाक के जुड़े मामले में प्रभाव आम है. अदालतें सरकार के दबाव में काम कर रही है. इबादतगाह कानून को नजरअंदाज करके ज्ञानवापी और मथुरा का मामला कोर्ट में सुना गया.भोपाल में जमीयत की गवर्निंग बॉडी में जिहाद पर मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि इस्लाम के दुश्मनों ने जिहाद शब्द को हिंसा का हमनाम बना दिया है. लव जिहाद, लैंड जिहाद, थूक जिहाद जैसे शब्द इस्तेमाल करके मुसलमानों की तौहीन की जा रही है. ये साफ होना चाहिए कि इस्लाम में जिहाद एक पवित्र कर्तव्य है.उन्होंने कहा कि कुरान में जिहाद के कई अर्थ है. समाज और इंसानियत के बुलंदी के लिए हुआ है.

जहां जंग के मायने में इस्तेमाल हुआ है तो जुल्म के खात्मे के लिए हुआ हैउन्होंने साफ कहा कि जब-जब जुल्म तब-तब जिहाद होगा. मैं इसको फिर दोहराता हूं जब-जब जुल्म होगा, तब-तब जिहाद होगा. इस बयान के बाद नारा ए तकबीर अल्लाह हु अकबर के नारे लगे.उन्होंने कहा कि तमाम ही आसमानी मजहबों में जुल्म के खड़े होना एक नैतिक जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि जिहाद कोई व्यक्तिगत, निजी या बदले की कार्यवाही नहीं है. जिहाद का फैसला सिर्फ शरीयत के तहत कायम सरकार ही जिहाद का फैसला कर सकती है. जहां भारत के लोकतांत्रिक मुल्क में जहां इस्लामी रियासत की कल्पना ही नहीं है, वहां जिहाद बहस का मुद्दा ही नहीं है.मदनी ने बंदेमातरम पर कहा कि मुर्दा कौम सरेंडर कर देती हैं, वो कहेंगे वंदे मातरम बोलो तो पढ़ना शुरू कर देंगे, ये पहचान होगी मुर्दा कौम होने की. अगर जिंदा कौम है हालात का मुकाबला करना पड़ेगा.दूसरी ओर भाजपा ने मदनी के बयान की आलोचना की है. भाजपा ने कहा कि मदनी के बयान पर सुप्रीम कोर्ट संज्ञान ले. मदनी ने भड़काऊ बयान दिया है. सुप्रीम कोर्ट पर टिप्पणी शर्मनाक है. वंदे मातरम पर सवाल उठाना गलत है. भाजपा ने कहा कि मदनी ने शीर्ष अदालत का अपमान किया, जिहाद बेशक गैरजिम्मेदाराना शब्द है.
