आर्थिक सुधार के निर्माता कहे जाते थे मनमोहन सिंह,आधार,मनरेगा और RTI सहित कई योजनाओं के लिए लिया जाएगा उनका नाम

भारत में आर्थिक सुधार के निर्माता कहे जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का गुरुवार (26 दिसंबर) को निधन हो गया। वे 92 साल के थे। मनमोहन सिंह को उनके घर पर बेहोशी आने पर दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था। एम्स में हर तरह के इलाज के बाद भी मनमोहन सिंह को होश में नहीं लाया जा सका। गुरुवार रात डॉक्टरों की टीम ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पूर्व पीएम के निधन से शोक की लहर दौड़ गई। देश को आर्थिक संकट से उबारायोजना आयोग और रिजर्व बैंक से लेकर वित्त मंत्री के पद पर रहे डॉक्टर मनमोहन सिंह साल 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री रहे थे। उन्होंने देश को आर्थिक संकट से उबारने में अहम भूमिका निभाई थी।

अर्थशास्त्री पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कैसे देश की दिशा और दशा बदल दी थी आइए जानते हैं… मनमोहन सिंह को देश में आर्थिक सुधारों के प्रणेता के तौर पर हमेशा याद किया जाएगा। उनका पूरा जीवन ही उपलब्धियों से भरा था। 10 साल तक देश के प्रधानमंत्री रहने के अलावा वो करीब 4 दशक तक देश के वित्तीय क्षेत्रों में अहम पदों पर रहे। उन्हें भारतीय अर्थव्यवस्था का उदारीकरण करने और उसमें नई जान फूंकने के लिए जाना जाता है। उनकी लिबरलाइजेशन, प्राइवेटाइजेशन और ग्लोबलाइजेशन की नीतियों से अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव आया। उनके कई कदम भारत के इतिहास में मील के पत्थर बन गए।वैश्वीकरण और उदारीकरण की शुरुआत की सबसे पहले उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि की बात करें तो उन्हें देश के उदारीकरण का जनक कहा जाता है। बतौर वित्त मंत्री उन्होंने 1991 में वैश्वीकरण और उदारीकरण की शुरुआत की थी। तब देश का दरवाजा खोल उन्होंने दुनिया के साथ अहम आर्थिक और व्यापारिक डील करने का सिलसिला शुरू करवाया।साल 2005 में लाए RTI कानूनसरकार को जवाबदेह बनाने के लिए मनमोहन सिंह के नेतृत्व में जून 2005 में सूचना का अधिकार (RTI) कानून लागू किया गया। इसी तरह सितंबर 2005 में उनकी सरकार ने रोजगार गारंटी योजना की शुरुआत की जिसमें प्रत्येक ग्रामीण परिवार को 100 दिन के रोजगार की गारंटी देने का कानून बनाया गया, बाद में यही योजना मनरेगा के नाम से मशहूर हुई। मनमोहन के कार्यकाल की अहम उपलब्धियों में जनवरी 2009 में पहचान के लिए आधार कार्ड योजना की शुरुआत को भी माना जाता है, जो आज देश के सभी नागरिकों की पहचान बन चुकी है। मनमोहन सिंह के दूसरे कार्यकाल के दौरान साल 2013 में देश के गरीब लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चत करने के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू किया। डॉक्टर मनमोहन सिंह की सरकार ने Direct Benefit Transfer सिस्टम को लागू किया, जिसने गरीबों तक पहुंचने वाले पैसों से जुड़ी कई खामियों को दूर किया। साल 2008 में कृषि ऋण माफी योजना भी शुरू की गई, जिसमें कृषि संकट को दूर करने के लिए 60 हजार करोड़ रुपए के ऋण माफ कर किसानों को काफी राहत प्रदान की गई। मनमोहन के कार्यकाल में अमेरिका से हुई न्यूक्लियर डीलआर्थिक क्षेत्र के इन बड़े कदमों के अलावा मनमोहन सिंह के कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धियों में मार्च 2006 में अमेरिका से हुई न्यूक्लियर डील सबसे प्रमुख है। इस समझौते के तहत, भारत को परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह (NSG) से छूट मिली। इसके तहत भारत को अपने नागरिक और सैन्य परमाणु कार्यक्रमों को अलग करने की अनुमति मिली। इस डील के तहत भारत को उन देशों से यूरेनियम आयात करने की अनुमति मिली, जिनके पास ये तकनीक है।मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री बनने से बहुत पहले ही भारत के लिए अहम भूमिका निभाने लगे थे। साल 1966 से 1969 के दौरान संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के लिए आर्थिक मामलों के अधिकारी के रूप में चुने गए थे। 1971 में वो वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार नियुक्त किए गए, फिर 1972 में उन्हें वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार बनाया गया। इसके बाद वो योजना आयोग के उपाध्यक्ष बने।