हीरानंदानी के आरोपों पर बोलीं महुआ मोइत्रा-बंदूक रखकर करवाया होगा हलफनामे पर साइन
 
            
      टीएमसी सांसद महुआ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर दो पेज का अपना बयान पोस्ट किया है. इसमें कुल मिलाकर पांच सवाल उठाए गए हैं. महुआ ने कहा है कि तीन दिन पहले हीरानंदानी ग्रुप ने एक ऑफिशियल प्रेस रिलीज में कहा कि उनके ऊपर लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद हैं. आज प्रेस में हलफनामा लीक हो जाता है. ये हलफनामा सफेद पेपर है, जिसमें कोई लेटरहेड नहीं है. मैं कुछ सवाल पूछना चाहती हूं.
- दर्शन हीरानंदानी को अभी तक सीबीआई या किसी जांच एजेंसी के जरिए बुलाया नहीं गया है. फिर उन्होंने इस हलफनामे को किसे दिया?
- ये हलफनामा एक सफेद पेपर है, न कि किसी ऑफिशियल लेटरहेड या नोटरी पर. आखिर देश का सबसे सम्मानित बिजनेसमैन इस तरह के सफेद पेपर पर साइन करेगा. वह ऐसा तभी करेगा, जब उसके सिर पर बंदूक रखी गई हो.
- चिट्ठी में लिखा गया कंटेट पूरी तरह से मजाक है. इसे पीएमओ में कुछ ऐसे लोगों के जरिए तैयार किया गया है, जो बीजेपी के आईटी सेल में एक क्रिएटिव राइटर के तौर पर काम करते हैं. यह पीएम मोदी और गौतम अडानी के लिए गीत गाता हुआ नजर आता है. इसमें उनके हर प्रतिद्वंद्वी को मेरे और मेरे कथित भ्रष्टाचार से जोड़ा गया है. इसमें जिन लोगों के नाम लिए गए हैं. उन्हें देखकर ऐसा लगता है कि जैसे सबका नाम घुसा दो, ऐसा मौका फिर नहीं आएगा.
- पैराग्राफ के 12 हिस्से में लिखा गया है कि दर्शन ने मेरी मांगें इसलिए मान लीं, क्योंकि उसे मुझे नाराज करने का डर था. दर्शन के पिता और वह देश के सबसे पहले बिजनेसमैन हैं. वह पीएम के साथ विदेश दौरों पर भी व्यापारिक मंडल का हिस्सा बनकर जाते हैं. एक ऐसा व्यक्ति जिसकी हर मंत्री और पीएमओ तक पहुंच हो, वह कैसे एक विपक्षी सांसद से डर सकता है. ये पूरी तरह से अजीब है.
- दर्शन ने अभी तक प्रेस कॉन्फ्रेंस क्यों नहीं की है. वह चाहते तो इसे ट्वीट कर सकते थे या उनकी कंपनी इसकी जानकारी सामने आकर दे सकती थी. अगर सच में उन्होंने ये बात कही है तो उन्हें इन आरोपों को आधिकारिक तौर पर आकर कहना चाहिए, न कि किसी पिछले दरवाजे का सहारा लेना चाहिए. सच्चाई बिल्कुल साफ नजर आ रही है.

वहीं, समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे और महुआ मोइत्रा के अलग हुए साथी और वकील जय अनंत देहाद्रई ने आरोप लगाया कि मोइत्रा ने संसद में सवाल उठाने के लिए हीरानंदानी से मदद ली. इस पर टीएमसी सांसद ने उनके खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष मानहानि का मुकदमा दर्ज किया है. जबकि निशिकांत दुबे ने एक चिट्ठी में इस मुद्दे को लोकसभा स्पीकर के सामने उठाया. अब स्पीकर ने इसे संसद की आचार समिति को भेज दिया है।

 
       
                      
                     