तेजस्वी और बाकी के नेताओं पर लालू को नहीं है भरोसा,जानिए राजद में अध्यक्ष पद के लिए कैसे हुआ निर्णय?

 तेजस्वी और बाकी के नेताओं पर लालू को नहीं है भरोसा,जानिए राजद में अध्यक्ष पद के लिए कैसे हुआ निर्णय?
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राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए बीते दिन सोमवार को हीं निवर्तमान अध्यक्ष लालू यादव ने नामांकन पत्र दाखिल किया है. इस पद के लिए नोमिनेशन करने वाले वह एक मात्र उम्मीदवार हैं. ऐसे में अब यह स्पष्ट हो गया है कि वह अगले 3 वर्षों के लिए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्विरोध चुने जाएंगे. 5 जुलाई को पार्टी के राष्ट्रीय परिषद की बैठक में उनके नाम की औपचारिक घोषणा की जाएगी.जनता दल से अलग होकर 5 जुलाई 1997 को लालू प्रसाद ने राष्ट्रीय जनता दल का गठन किया था. पिछले 28 वर्षों से पार्टी के निर्विरोध अध्यक्ष के रूप में लालू प्रसाद चयनित होते रहे हैं. नामांकन पत्र दाखिल करने का वीडियो खुद लालू प्रसाद ने अपने अपने एक्स हैंडल पर शेयर किया है।

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1990 में लालू यादव के नेतृत्व में बिहार में जनता दल की सरकार बनी थी. 1990 के बाद लालू प्रसाद सामाजिक न्याय के सबसे बड़े चेहरे के रूप में न केवल बिहार में बल्कि पूरे देश में उभरे थे. 1990 में जनता दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था. बीजेपी और अन्य दलों के सहयोग से लालू प्रसाद बिहार के मुख्यमंत्री बने. मुख्यमंत्री बनते ही उन्होंने शोषित और वंचितों को लेकर जिस तरीके के काम किया, उनकी पहचान देश के बड़े नेताओं में होने लगी।गरीबों एवं दलितों के बीच जाकर बच्चों का बाल काटना हो या वंचित समाज के लोगों के लिए चरवाहा विद्यालय खोलना, लालू की छवि गरीबों के नेता के रूप में हुई है. लालू प्रसाद के कार्यकाल के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने कमजोर तबके लोगों को बोलने का और वोट देने का अधिकार समझाया. यही कारण है कि सभी वंचित वर्गों में लालू प्रसाद की लोकप्रियता बढ़ने लगी. यही कारण है कि 1990 में अन्य दलों के सहयोग से मुख्यमंत्री बनने वाले लालू प्रसाद 1995 के चुनाव में अपने दम पर बहुमत के साथ फिर से मुख्यमंत्री बने।जनता दल में आपसी विरोध के कारण पार्टी कई गुटों में बंट गई थी. 5 जुलाई 1997 को लालू ने जनता दल से अलग होकर राष्ट्रीय जनता दल के नाम से नई पार्टी का गठन किया. दिल्ली में स्थापना के वक्त लालू की अगुवाई में रघुवंश प्रसाद सिंह, कांति सिंह, मोहम्मद शहाबुद्दीन और अली अशरफ फातिमी समेत 17 लोकसभा सांसदों और 8 राज्यसभा सांसदों की मौजूदगी में बड़ी तादाद में कार्यकर्ता और समर्थक जुटे थे. तब से अब तक लालू ही राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।आरजेडी में तेजस्वी यादव का कद हाल के दिनों में बहुत बड़ा हो चुका है. पार्टी के अधिकांश निर्णय अब तेजस्वी यादव ही लेते हैं लेकिन इसके बावजूद बीमार रहते हुए फिर से लालू प्रसाद को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया है. सियासी जानकार कहते हैं कि राष्ट्रीय जनता दल के लिए लालू जितने जरूरी हैं, उतने ही मजबूरी भी हैं।राष्ट्रीय अध्यक्ष के हाथ पार्टी की सभी ताकत रहती है. तेजस्वी यादव को पार्टी का चेहरा बना दिया गया है. सत्ता के चेहरे के रूप में उन्हें प्रमोट किया जा रहा है लेकिन परिवार के अंदर इस बात को लेकर विरोध है कि सत्ता और संगठन में अलग-अलग भूमिका होनी चाहिए. सत्ता के चेहरे यदि तेजस्वी रहेंगे तो संगठन का चेहरा परिवार की किसी अन्य सदस्य को बनाया जाए. यही कारण है कि लालू प्रसाद राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान अपने पास रखना चाहते हैं।पार्टी के मुख्य प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव का कहना है कि पार्टी के सभी कार्यकर्ता अभी भी चाहते हैं कि लालू प्रसाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने रहें. लालू प्रसाद ने अध्यक्ष के पद पर रहकर शानदार पारी खेली है. सांप्रदायिक शक्तियों के खिलाफ वह लगातार मुखर रहे हैं. संविधान एवं लोकतंत्र की रक्षा के लिए हर वह काम किए हैं, जिससे सांप्रदायिक ताकत मजबूत नहीं हो।

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