बेटा को मंत्री बनाकर घिर गए कुशवाहा,नीतीश कैबिनेट में परिवारवाद हुआ हावी!
बिहार सरकार में मुख्यमंत्री समेत 27 मंत्रियों ने बीते दिन शपथ ले ली है। इसमें सामान्य वर्ग के 8 मंत्री हैं, जिसमें राजपूत- 4 , भूमिहार– 2, ब्राह्मण- 1, कायस्थ-1 है. पिछड़ी जातियों से 9 मंत्री हैं. इनमें कुशवाहा– 3, कुर्मी– 2, वैश्य- 2 और यादव -2 हैं. अति पिछड़ी जातियों के 3 मंत्री बने हैं. इनमें मल्लाह- 2 और ईबीसी– 1 है. 5 दलितों को भी मंत्री बनाया गया है. जबकि मुस्लिम मंत्रियों की संख्या 1 है।कुल मिलाकर कहा जा सकता है, नीतीश कैबिनेट में जाति समीकरण का भी खूब ख्याल रखा गया है. राजपूत और दलित समुदाय से सबसे ज्यादा कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं. इसके बाद भूमिहार और कुशवाहा को कैबिनेट में तरजीह दी गई है. नीतीश कुमार की सरकार में यादव समीकरण को भी साधा गया है. 14 प्रतिशत आबादी वाले यादव समुदाय के 2 मंत्री बनाए गए हैं. जेडीयू कोटे से एक अल्पसंख्यक मंत्री भी बनाए गए हैं.जातीय समीकरण से अलग पीएम मोदी के गमछा लहराने वाली तस्वीर भी काफी चर्चा में है.

दरअसल, इस बार पीएम मोदी ने बिहार में गमछा लहराकर लोगों के अभिवादन करने का ट्रेंड शुरू कर दिया है. चुनाव के दौरान भी वो अपनी रैलियों में गमछा लहराकर लोगों का अभिवादन करते थे. आज जब वो शपथ ग्रहण समारोह के लिए बिहार पहुंचे तो यहां भी उन्होंने गमछा लहराकर लोगों का अभिवादन किया और उनका अभिवादन स्वीकार भी किया।बिहार में RLM के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की भी काफी चर्चा हैं. वो खुद राज्यसभा से सांसद हैं, उनकी पत्नी विधायक बनी हैं और बेटा भी अब बिना चुनाव लड़े ही नीतीश कुमार की सरकार में मंत्री बन गया है। यानी पूरा परिवार जनसेवा के कठिन काम में लगा हुआ है. इसी तरह से बिहार में जीतनराम मांझी का भी परिवार है, जो खुद केंद्र में मंत्री हैं, इनके बेटे संतोष सुमन बिहार सरकार में मंत्री बने हैं. जीतनराम मांझी की बहू दीपा कुमारी, समधन ज्योति देवी और दामाद प्रफुल्ल मांझी तीनों विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे हैं, लेकिन नीतीश कुमार ने मंत्री सिर्फ संतोष सुमन को ही बनाया.वैसे राजनीति के परिवारवाद में थोड़ा और गहराई तक जाएं तो विपक्ष डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी के पिता और पूर्व सांसद शकुनी चौधरी का नाम लेकर उन्हें भी घेरता है. पूर्व सांसद दिग्विजय सिंह की बेटी श्रेयसी सिंह को भी परिवारवाद से जोड़ा जाता है. और तो और JDU के अशोक चौधरी जो खुद मंत्री हैं, उनकी बेटी LJP से सांसद हैं इन्हें परिवारवाद का ही स्वरूप कहा जाता है. वैसे एक तस्वीर आज नीतीश कुमार के बेटे निशांत की भी थी, जो राजनीति से कई ‘प्रकाशवर्ष‘ दूर हैं.बीते दिन जब उनके पिता 10वीं बार सीएम पद की शपथ ले रहे थे तो वो दर्शक दीर्घा में बैठे थे।2015 में जब तेज प्रताप यादव ने गलत शपथ पत्र पढ़ा तो तब के राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने उन्हें दोबारा सही से पढ़वाया था. यानी ये काफी महत्वपूर्ण होता है लेकिन बीते दिन जब शपथ हो रही थी, तो इसमें एक साथ कई मंत्री शपथ ले रहे थे, किसी की आवाज स्पष्ट नहीं थी. संभव है कि गलतियां भी हुई होंगी लेकिन समूह की आवाज़ में दब गई होंगी. वैसे इस दौर में ये देखा गया है कि जब भी मंत्रिमंडल बड़ा होता है और वक्त कम, तो इसी तरह सामूहिक शपथ की व्यवस्था की जाती है।
