जान लीजिए आखिर महागठबंधन ने क्यों बुलाई थी बड़ी बैठक?तेजस्वी के बिना कांग्रेस है अधूरा

 जान लीजिए आखिर महागठबंधन ने क्यों बुलाई थी बड़ी बैठक?तेजस्वी के बिना कांग्रेस है अधूरा
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बिहार विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पूरी ताकत दिखाने में लगी है. चार महीने में तीन बार राहुल गांधी बिहार का दौरा भी कर चुके हैं. कांग्रेस के बिहार प्रभारी के साथ प्रदेश अध्यक्ष को भी बदल दिया गया. इन सब के बावजूद क्या बिहार में कांग्रेस कुछ बेहतर कर पाएगी या आरजेडी के सामने अभी भी मजबूर है? चुनाव से पहले गुरुवार (18 अप्रैल) को महागठबंधन की हुई पहली बैठक से क्या कुछ समझ आ रहा है? बैठक में कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अलावरु और प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार के साथ वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी और वाम दल के सभी नेता शामिल हुए. सर्वसम्मति से निर्णय लेकर को-ऑर्डिनेशन कमेटी बनाई गई. इसका अध्यक्ष तेजस्वी यादव को बनाया गया.

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सीटों का बंटवारा, कैंपेन की रणनीति, कॉमन मिनिमम प्रोग्राम, घोषणा पत्र कंबाइंड बनाना, जिलास्तर और प्रखंड स्तर पर को-आर्डिनेशन, यह सब तेजस्वी यादव तय करेंगे. हालांकि मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा इस पर अभी सस्पेंस है. आखिर इस पर पत्ता क्यों नहीं खुला? बैठक से क्या लग रहा है? इसे वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विशेषज्ञ अरुण कुमार पांडेय से समझिए।लोग कहते हैं कि निश्चित तौर पर कांग्रेस यह मानने लगी है कि अगर बिहार की सत्ता में रहना है तो आरजेडी के बगैर कोई वजूद नहीं है. शुरू में कांग्रेस ने अपनी ताकत दिखाने की कोशिश की लेकिन जिस तरीके से तेजस्वी यादव को चुनाव की सारी जिम्मेदारी मिली है उससे यह साफ हो गया है कि खुले तौर पर मुख्यमंत्री का चेहरा महागठबंधन का तेजस्वी यादव ही हैं. महागठबंधन की सभी पार्टियों ने (कांग्रेस भी) भी स्वीकार कर लिया है. कल (गुरुवार) के कार्यक्रम से यह दिखने लगा है कि कांग्रेस आरजेडी के सामने मजबूर है।

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