तीसरे चरण के चुनाव में जानिए कौन है सबसे आगे?बिहार में एनडीए की हालत खराब!
लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में आज बिहार की पांच सीटों पर चुनाव हो रहा है..जिसमे झंझारपुर,अररिया, सुपौल, मधेपुरा और खगड़िया लोकसभा सीट शामिल है..इन पांचों सीटों पर मतदान होना शुरू हो गया है..तीसरे चरण के चुनाव इस चुनाव में लगभग 98.60 लाख मतदाता अपने मताधिकार का आज प्रयोग कर 54 उम्मीदवारों के राजनीतिक भविष्य का फैसला करेंगे..आपको बताते चले की इस चरण में जेडीयू के रामप्रीत मंडल,बीजेपी के प्रदीप कुमार सिंह सहित 54 उम्मीदवारों के राजनीतिक किस्मत का फैसला होने वाला है.. इनमें तीन महिला प्रत्याशी भी शामिल हैं..तो वहीं 19 प्रत्याशी निर्दलीय भी चुनावी मैदान में उतरे हुए हैं..वहीं इस चरण में प्रत्याशियों की बात करें तो सभी पांचों सीटों पर मुख्य मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच माना जा रहा है..इस चरण में एनडीए के सामने अपनी सीट बचाने की एक बड़ी बड़ी चुनौती दिख रही है..क्योंकि इन सभी सीटों पर 2019 के संसदीय चुनाव में एनडीए ने परचम लहराया था..इस चुनाव में एनडीए गठबंधन ने जहां इन सभी सीटों को बरकरार रखने को लेकर पूरी ताकत झोंक दी है..तो वहीं महागठबंधन भी इन पांचों सीटों पर जीत को लेकर जोर लगाए हुई है..इन पांच सीटों में से इस बार तीन सीटों पर तेजस्वी की पार्टी आरजेडी,जबकि एक सीट पर मुकेश सहनी की पार्टी वीआइपी और एक अन्य सीट पर सीपीएम पार्टी चुनाव लड़ रही है..मधेपुरा सीट पर जेडीयू ने एक बार फिर से दिनेश चंद्र यादव को उतारा है.. जिनका मुकाबला आरजेडी के प्रो. कुमार चंद्रदीप से है..दिनेशचंद्र यादव ने ही 2019 के चुनाव में शरद यादव को तीन लाख से अधिक मतों से हराया था..कहा जाता है की मधेपुरा कभी समाजवादियों का गढ़ था..ऐसे में यहां जदयू के उम्मीदवार दिनेशचंद्र यादव के सामने अपना सीट बचाने और लालू यादव के सामने अपने यादव मतदाताओं पर फिर से अपनी पकड़ बनाने की एक बड़ी चुनौती है..वहीं अगर दूसरी सीट झंझारपुर की बात करें तो जेडीयू ने एकबार फिर से रामप्रीत मंडल को चुनावी मैदान में उतारा है..क्योंकि रामप्रित मंडल ने पिछले लोकसभा चुनाव में यहां आरजेडी के गुलाब यादव को तीन लाख 22 हजार से ज्यादा मतों से हराया था..लेकिन इंडिया गठबंधन ने इस बार यह सीट मुकेश सहनी की वीआइपी पार्टी को दी है..वीआईपी के उम्मीदवार सुमन कुमार महासेठ इस बार यहां से चुनावी मैदान में है…मुख्य मुकाबला इन्हीं दोनों के बीच माना जा रहा था..लेकिन गुलाब यादव के बीएसपी से चुनाव लड़ने से अब लड़ाई त्रिकोणीय हो गई है..क्योंकि गुलाब यादव आरजेडी के विधायक रह चुके हैं..उनकी पत्नी एमएलसी हैं और बेटी जिला परिषद अध्यक्ष हैं..ऐसे में यहां मुकाबला दिलचस्प हो गया है..वहीं अगर तीसरी सीट खगड़िया की बात करें तो यहां से दोनों गठबंधन ने नए उम्मीदवार उतारे हैं..चिराग पासवान ने राजेश वर्मा को अपने पार्टी से चुनावी मैदान में उतारा है तो वहीं महागठबंधन की ओर से सीपीएम के उम्मीदवार संजय कुशवाहा मैदान में हैं..लोगों की माने तो यहां बाहरी बनाम स्थानीय की लड़ाई हो रही है..क्योंकि राजेश वर्मा को लोग बाहरी और संजय कुशवाहा को स्थानीय नेता बता रहे हैं..वहीं टिकट कटने के बाद महबूब अली कैसर के आरजेडी में आने से महागठबंधन मजबूत दिख रहा है..बीते चुनाव में एलजेपी के महबूब अली कैसर ने जीत हासिल की थी..इस बार टिकट नहीं मिलने पर महबूब अली कैसर आरजेडी में चले गए हैं..जिससे की इस सीट पर संजय कुशवाहा मजबूत दिखाई पड़ रहे हैं..ऐसे में राजेश वर्मा के सामने एनडीए का गढ़ बचाए रखने की भी चुनौती है..वहीं चौथी सीट सुपौल भी काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है..क्योंकि जेडीयू ने फिर से दिलेश्वर कामत को मैदान में उतारा है..वहीं आरजेडी ने चंद्रहास चौपाल को टिकट दिया है.. सुपौल में जहां दिलेश्वर कामत अपनी सीट बचाने के लिए जोर लगाए हुए हैं..वहीं चंद्रहास चौपाल उन्हें कड़ी टक्कर दे रहे हैं..इन सबके बीच चुनावी मैदान में बैद्यनाथ मेहता ने निर्दलीय उतरकर दोनों की चिंता बढ़ा दी है..क्योंकि बैधनाथ मेहता कुशवाहा जाति से आते हैं और इस सीट के हार जीत में कुशवाहा जाति की भूमिका अहम मानी जाती है..वहीं अगर पांचवी सीट अररिया की बात की जाएं तो यहां से बीजेपी के प्रत्याशी प्रदीप सिंह चुनावी मैदान में अपना दमखम दिखा रहे हैं तो वहीं उनके सामने आरजेडी के प्रत्याशी शाहनवाज आलम हैं जो की कड़ा टक्कर दे रहे हैं..भले हीं बीजेपी उम्मीदवार प्रदीप सिंह के सामने अपनी सीट बचाने की बड़ी चुनौती है तो वहीं आरजेडी के शाहनवाज आलम परंपरागत मतदाताओं के सहारे इस सीट पर जीत के लिए पूरा जोर लगाए हुए हैं..