तेजस्वी से जदयू ने मांगा सवालों का जवाब,कहा-बिहार में 118 नरसंहार का दो जवाब,मां-बाप के राज का दो हिसाब

 तेजस्वी से जदयू ने मांगा सवालों का जवाब,कहा-बिहार में 118 नरसंहार का दो जवाब,मां-बाप के राज का दो हिसाब
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लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार में महागठबंधन और एनडीए दोनों ओर से बयानबाजी खूब हो रही है. तेजस्वी यादव अपने चुनावी भाषण में जहां 17 महीने की उपलब्धि जनता को बता रहे हैं तो एनडीए के नेता लालू-राबड़ी के 15 साल के शासनकाल को याद कर हमला कर रहे हैं. जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता और एमएलसी नीरज कुमार ने शुक्रवार (12 अप्रैल) को एक्स पर बयान देते हुए तेजस्वी यादव पर हमला बोला.प्रवक्ता नीरज कुमार ने एक्स पर पोस्ट किया, “बिहार में 118 नरसंहार का दो जवाब, मां-बाप के राज का दो हिसाब.” नीरज कुमार ने अपने बयान में आगे कहा कि जवाब और हिसाब के बीच राजनीति की जो दूसरी पीढ़ी आई है तो कौन था गुनहगार जिसमें दलित, शोषित, सामान्य समुदाय के लोगों का कत्लेआम मच गया था. मां कराह रही थी. बच्चे काल कवलित हो गए. कौन है उसके लिए जिम्मेदार? उस संबंध में कौन बताएगा कि इस गुनाह के लिए राजनीतिक संरक्षण देने का राजनीति में महा पाप किसने किया?उधर जेडीयू के इस बयान पर आरजेडी ने पलटवार किया है. आरजेडी के प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कहा कि अपराध के सवाल पर बोलने का कोई नैतिक हक जेडीयू के नेताओं को नहीं रह गया है. सारा पाप का श्रेय जेडीयू के शीर्ष नेतृत्व को है. जो बिहार सरकार का नेतृत्व कर रहा है. सवाल उठाया कि किसने आयोग को भंग किया था? जो आरोपियों और अपराधियों की शिनाख्त के लिए गठित की गई थी. आयोग की जांच में किनके वंशज के नाम आ रहे थे जिससे घबराकर मुख्यमंत्री बनते ही डर से आयोग को भंग करना पड़ा?बता दें कि लालू प्रसाद यादव 1990 में मुख्यमंत्री बने थे इसके बाद चारा घोटाला मामले में 1997 में जेल जाने के बाद अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाए थे. 2005 तक राबड़ी देवी बिहार की मुख्यमंत्री रहीं. दोनों पति-पत्नी ने मिलकर 15 साल बिहार में शासन किया था. उस वक्त बिहार में जंगल राज का हवाला देकर नीतीश कुमार 2005 में पहली बार मुख्यमंत्री बने थे.इसके बाद से हर चुनाव में जेडीयू और बीजेपी लालू राज में हुए नरसंहार एवं हत्याओं के दौर की याद दिलाते हुए हमला करती है. अब जब तेजस्वी चुनावी सभा में 17 महीने में नौकरी देने का दावा कर रहे हैं तो एनडीए से जुड़े दल के नेता भी लालू-राबड़ी के शासन की याद दिलाकर सवाल उठा रहे हैं।

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