जहांगीर का एक गलत फैसला जिसने भारत को बना दिया गुलाम,जानिए अंग्रेजों के साथ मुगलों का क्या था रिश्ता!

 जहांगीर का एक गलत फैसला जिसने भारत को बना दिया गुलाम,जानिए अंग्रेजों के साथ मुगलों का क्या था रिश्ता!
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भारत ने लंबे संघर्ष के बाद 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों से आजादी हासिल की तो एक नए लोकतंत्र का उदय हुआ. इससे पहले अंग्रेजों की तानाशाही और उनसे पहले देश पर मुगलों का राज था. साल 1526 में इब्राहिम लोदी को हराकर बाबर ने भारत में मुगल सल्तनत की शुरुआत की थी, जिसे अंग्रेजों ने खत्म कर दिया था. आइए जान लेते हैं मुगलों की वे गलतियां, जिससे देश में अंग्रेजों को प्रवेश मिला, उनका दबदबा बढ़ा और फिर उन्हीं अंग्रेजों ने पूरी मुगल सल्तनत मिट्टी में मिला दी.यह साल 1600 की आखिरी तारीख यानी 31 दिसंबर की बात है. भारत में मुगल बादशाह अकबर के शासनकाल में सुदूर इंग्लैंड में एक कंपनी का जन्म हुआ, जिसे हम ईस्ट इंडिया कंपनी के नाम से जानते हैं.

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इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ प्रथम ने इस कंपनी को भारत के साथ 21 साल तक व्यापार करने की अनुमति दी थी. तब अंग्रेजों को भारत एक खुला बाजार लग रहा था. हालांकि, अपनी लाख कोशिशों के बावजूद अंग्रेजों को अकबर के शासनकाल में भारत में व्यापार करने की अनुमति नहीं मिली.अकबर के निधन के बाद साल 1605 ईस्वी में अय्याश जहांगीर मुगलिया सिंहासन पर बैठा. जहांगीर की सबसे बड़ी कमजोरी शराब थी. इसका फायदा उठाकर अंग्रेजों ने जहांगीर से व्यापार करने की अनुमति मांगनी शुरू की. हालांकि, शुरू में जहांगीर के आगे भी अंग्रेजों की दाल नहीं गली. ईस्ट इंडिया कंपनी लगातार जहांगीर के दरबार में अपने दूत भेजती रही पर सफलता नहीं मिल रही थी. साल 1608 में विलियम हॉकिंस इंग्लैंड के राजा जेम्स-I की चिट्ठी और कई तोहफे लेकर भारत आया. जहांगीर उससे प्रभावित तो हुआ पर वह भी ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए जहांगीर से कोई अधिकार हासिल नहीं कर पाया. इसके बावजूद अंग्रेजों ने हार नहीं मानी और साल 1611 में आखिरकार हॉकिंस ने जहांगीर को मना लिया और मुगल बादशाह ने ऐतिहासिक गलती कर दी.जहांगीर ने अंग्रेजों को भारत में व्यापार करने की अनुमति दे दी. इसके बाद जनवरी 1613 में कंपनी ने गुजरात के सूरत में अपना पहला कारखाना लगाया, जिसमें रजाई-गद्दे और कपड़ों का उत्पादन शुरू हुआ. हालांकि, तब भारत में पुर्तगालियों की उपस्थिति भी थी और वे अंग्रेजों का लगातार विरोध कर रहे थे. साथ ही जहांगीर की ओर से दी गई अनुमति भी अस्थायी थी. इसलिए अंग्रेज और अधिकार हासिल करने का प्रयास करते रहे.साल 1615 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने थॉमस रो को भारत में कारोबार बढ़ाने का जिम्मा सौंपा था. इसी बीच एक ऐसी घटना हुई, जिसने अंग्रेजों को जहांगीर से तमाम अधिकार दिला दिए. दरअसल, जहांगीर की बेटी जहांआरा जल गई थी. भारतीय चिकित्सा पद्धति से वह ठीक नहीं हो रही थी. थॉमस रो ने इसका फायदा उठाया और जहांगीर से जहांआरा का इलाज अंग्रेजी पद्धति से करने की अनुमति ले ली. अंग्रेजी इलाज से जहांआरा स्वस्थ हो गई. इसके बदले में थॉमस रो ने जहांगीर से भारत में कंपनी का व्यापार बढ़ाने और उसकी सुरक्षा के लिए फौज रखने की अनुमति ले ली.यह जहांगीर की दूसरी ऐतिहासिक भूल साबित हुई कि उसने अंग्रेजों को कारोबार करने की स्थायी अनुमति दे दी. वैसे जहांगीर कतई नहीं चाहता था कि वह अंग्रेजों को व्यापार की अनुमति दे, क्योंकि देश में पहले से मौजूद पुर्तगाली मुगलों की नाक में दम किए रहते थे. हालांकि, जहांआरा को ठीक कर थॉमस रो ने सूरत के अलावा बंगाल में भी ईस्ट इंडिया कंपनी को व्यापार करने की छूट दिला दी।

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