सामाजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़े समुदायों की पहचान करना जरूरी,जाति जनगणना पर सामने आया RSS का रुख

 सामाजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़े समुदायों की पहचान करना जरूरी,जाति जनगणना पर सामने आया RSS का रुख
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने शनिवार को कहा कि संघ जाति-आधारित जनगणना के खिलाफ नहीं है, लेकिन यह राजनीतिक रूप से प्रेरित नहीं होनी चाहिए और इसका मकसद सामाजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़े समुदायों की पहचान करके उनकी प्रगति करना होना चाहिए। यहां आरएसएस के तीन दिवसीय अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक के समापन दिवस पर पत्रकारों से बात करते हुए होसबाले ने दावा किया कि लोग अक्सर जाति या पैसे के आधार पर वोट देते हैं और ऐसी प्रथाओं को खत्म करने के लिए जागरूकता की जरूरत है।

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सामाजिक सद्भावना की भावना बढ़नी चाहिएआरएसएस नेता ने कहा, ‘‘चुनावों के दौरान, वोट हासिल करने के लिए ही जाति-आधारित टिप्पणियां की जाती हैं। देश की प्रगति के लिए एकता और सद्भाव जरूरी है। जातिगत अहंकार सामाजिक कलह पैदा कर रहा है। हिंदू समाज में कई जातियां और संप्रदाय हैं, साथ ही आध्यात्मिक संगठन भी हैं। समाज में आत्मविश्वास को मजबूत करने के लिए सामाजिक सद्भावना की भावना बढ़नी चाहिए।’’ जाति जनगणना के बारे में एक सवाल के जवाब में होसबाले ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही कह चुका है कि अगर जरूरी हो तो यह किया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे आंकड़े कल्याणकारी योजनाओं के लिए उपयोगी हैं। इसका इस्तेमाल राजनीतिक उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि इससे समाज बंटेगा। कुछ जातियां पिछड़ी रह गई हैं और उन्हें सशक्तीकरण की जरूरत है। अगर सरकारी योजनाओं का लाभ उन तक पहुंचाने के लिए आंकड़ों की जरूरत है, तो उसे इकट्ठा किया जाना चाहिए।’’ होसबाले ने कहा कि संघ जाति के आधार पर काम नहीं करता है, लेकिन जहां भी आंकड़े देश के लिए उपयोगी हैं, उसे इकट्ठा किया जाना चाहिए। उन्होंने मादक पदार्थों के प्रसार पर भी चिंता जताई और कहा कि नशीले पदार्थ ‘‘आईआईएम जैसे संस्थानों’’ और स्कूलों के पास भी बेचे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि युवाओं की सुरक्षा के लिए प्रशासनिक, धार्मिक और सामाजिक स्तर पर प्रयास करने की जरूरत है। होसबाले ने कहा कि संघ के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में पर्यावरण, हिंदुत्व के विस्तार, परिवार जागरूकता, सामाजिक सद्भाव और अन्य सामाजिक मुद्दों पर देश भर में लगभग 80 से हजार हिंदू सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि स्वयंसेवक इस साल घर-घर जाकर संपर्क अभियान भी चलाएंगे। सेवा के नाम पर धर्मांतरण चिंताजनकहोसबाले ने कहा कि सेवा के नाम पर धर्मांतरण चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि वनवासी कल्याण आश्रम और विश्व हिंदू परिषद जैसे संगठन इसे रोकने के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘पंजाब में सिखों के बीच भी धर्मांतरण बढ़ रहा है, जिसे जागरूकता और तालमेल के ज़रिए रोका जा सकता है जिससे ‘घर वापसी’ (दूसरे धर्म अपनाने वालों की हिंदू धर्म में वापसी) सुनिश्चित हो सके।’’ उन्होंने कहा कि ‘‘घुसपैठ, धार्मिक धर्मांतरण और एक ही समुदाय का दबदबा’’, ये तीन मुख्य कारण हैं जो लोकतंत्र को अस्थिर कर सकते हैं। उन्होंने जनसंख्या नियंत्रण कानून की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। होसबाले ने कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप को सिर्फ़ कानून बनाकर कम नहीं किया जा सकता, इसके लिए सामाजिक चेतना और जागरूकता की जरूरत है।

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