कोलंबिया सरकार की प्रतिक्रिया पर भड़का भारत,पाकिस्तान के समर्थन में बोलने पर जताई आपत्ति

भारत की ओर से पाकिस्तान को एक्सपोज करने का कार्यक्रम जारी है. कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नेतृत्व में सर्वदलीय डेलिगेशन कोलंबिया में है, जहां उन्होंने कोलंबिया को ही आड़े हाथ लिया है. दरअसल, कांग्रेस सांसद ने पाकिस्तान को लेकर कोलंबियाई सरकार की प्रतिक्रिया पर निराशा जाहिर की है, जिसने आतंकवाद के पीड़ितों के बजाय भारतीय हमलों से पाकिस्तान में जानमाल की हानि पर संवेदना जताई थी।थरूर ने कहा, ‘हम कोलंबियाई सरकार की प्रतिक्रिया से थोड़े निराश हैं, जिसने आतंकवाद के पीड़ितों के प्रति सहानुभूति दिखाने के बजाय भारतीय हमलों के बाद पाकिस्तान में हुई जानमाल की हानि पर संवेदना व्यक्त की है. हमें लगता है कि जब ये बयान दिया गया तब शायद स्थिति को पूरी तरह से नहीं समझा गया था. ये समझना हमारे लिए बेहद जरूरी है. हम एक ऐसा देश हैं जो वास्तव में दुनिया में रचनात्मक प्रगति के लिए एक ताकत रहे हैं.

हमें निश्चित रूप से उम्मीद है कि अन्य सरकारें उन लोगों से कहेंगी जो आतंकवादियों को सुरक्षित पनाह और संरक्षण देते हैं कि वे ऐसा करना बंद करें. यह वास्तव में बहुत मददगार होगा, चाहे सुरक्षा परिषद में हो या उसके बाहर.’उन्होंने कहा, ‘हम कोलंबिया में अपने मित्रों से कहेंगे कि आतंकवादियों को भेजने वालों और उनका विरोध करने वालों के बीच कोई समानता नहीं हो सकती. हमला करने वालों और बचाव करने वालों के बीच कोई समानता नहीं हो सकती. हम केवल आत्मरक्षा के अपने अधिकार का प्रयोग कर रहे हैं और यदि इस मुद्दे पर कोई गलतफहमी है, तो हम ऐसी किसी भी गलतफहमी को दूर करने के लिए यहां हैं. हम परिस्थितियों के बारे में कोलंबिया से विस्तार से बात करके बहुत खुश हैं, जैसे कोलंबिया ने कई आतंकवादी हमलों को झेला है, वैसे ही हमने भारत में भी झेला है. हमने लगभग चार दशकों तक बहुत बड़ी संख्या में हमलों को झेला है.’वहीं, किसी तीसरे देश की मध्यस्थता के सवाल पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, ‘हमें अमेरिका के वरिष्ठ अधिकारियों व तमाम देशों, फ्रांस, यूएई, सऊदी अरब और अन्य के वरिष्ठ अधिकारियों से कई फोन कॉल आए. हमने इन सभी देशों को जो संदेश दिया, वह बिल्कुल एक जैसा था. हमें युद्ध में कोई दिलचस्पी नहीं है. सिर्फ एक आतंकवादी हमले का बदला ले रहे थे. अगर वे रुकते हैं, तो हम भी रुक जाएंगे… अगर ये संदेश इन देशों की ओर से पाकिस्तान को दिया जाता, तो पाकिस्तान को रोकने के लिए राजी करने में इसका असर हो सकता था क्योंकि उन्हें पता था कि उनके रुकने का मतलब यह होगा कि भारत भी चीजों को रोक देगा इसलिए ऐसा हो सकता है कि ऐसा ही हुआ हो, लेकिन निश्चित रूप से मध्यस्थता की कोई सक्रिय प्रक्रिया नहीं थी.’दरअसल में पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बहुत ज्यादा बढ़ गया था. इस हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी. भारत ने बदला लेने के लिए 7 मई की सुबह पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया. भारत की इस कार्रवाई से पाकिस्तान बिलबिला गया और उसने भारत के ऊपर ड्रोन व मिसालइ के जरिए हमला कर दिया. दहशतगर्दी को पालने वाले पाकिस्तान के हमले को भारतीय सेना ने न सिर्फ रोका बल्कि उसका करारा जवाब दिया. 10 मई को दोनों पक्षों के डीजीएमओ के बीच वार्ता के बाद सैन्य एक्शन को रोकने का फैसला लिया गया, जिसके बाद सीजफायर का ऐलान किया गया।