हिना-ओवैसी की नजदीकी ने बढ़ाई तेजस्वी यादव की टेंशन,शहाबुद्दीन का परिवार तोड़ेगा लालू का ‘M’ समीकरण

 हिना-ओवैसी की नजदीकी ने बढ़ाई तेजस्वी यादव की टेंशन,शहाबुद्दीन का परिवार तोड़ेगा लालू का ‘M’ समीकरण
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आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव बिहार में सिर्फ सामाजिक न्याय के प्रणेता के तौर पर ही नहीं जाने जाते हैं। उन्होंने बड़ी होशियारी से मुस्लिम-यादव (M-Y) समीकरण भी बनाया था। सामाजिक न्याय का उनका वोट आधार बाद के दिनों में दरक गया, लेकिन M-Y समीकरण बचा हुआ था। यही आरजेडी की अभी तक बड़ी ताकत भी माना जाता था। पर, अब हालात बदलते नजर आ रहे हैं। इस समीकरण में सेंध देश भर में तेजी से अपनी पकड़ मजबूत कर चुकी भाजपा ने नहीं लगाई है। जेडीयू ने शुरू में सेंधमारी की कोशिश जरूर की थी, लेकिन बाद में मुसलमानों ने भाजपा के प्रति उनके प्रेम को देखते हुए फिर आरजेडी का ही रुख कर लिया था। इसका सुफल 2020 के विधानसभा चुनाव में काफी हद तक आरजेडी को मिला भी। उसकी सीटें बढ़ गईं। पर, अब शायद मुस्लिम वोटर आरजेडी की असलियत समझने लगे हैं। न भी समझे हों तो उन्हें समझाने के लिए एआईएमआईएम (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी बिहार पहुंच गए हैं। मुसलमान अब आरजेडी के बहकावे में आकर सिर्फ झंडा ढोने का काम नहीं करेंगे, इसका संकेत गोपालगंज के विधानसभा उपचुनाव में भी मुसलमानों ने दे दिया था। तेजस्वी यादव आरजेडी को माई (M-Y) के साथ बाप (BAAP) बनाने का सपना देखते रहें। बिहार के मुसलमान अब झांसे में नहीं आने वाले।असदुद्दीन ओवैसी बिहार के नेता नहीं हैं। अपनी पार्टी एआईएमआईएम का झंडा लेकर उन्होंने पहली बार 2020 में बिहार में दस्तक दी थी। पहले ही प्रयास में उन्हें खासा कामयाबी भी मिल गई। उनकी पार्टी के पांच लोग विधायक बन कर विधानसभा पहुंचे। यह अलग बात है कि आरजेडी ने उनके चार विधायकों को तोड़ कर अपने साथ कर लिया। ओवैसी के मन में यह भी खुन्नस है। सरकार बनाने की बात होती तो ओवैसी वैसे भी आरजेडी को छोड़ भाजपा या एनडीए के साथ तो नहीं ही जाते। चोट खाए सांप की तरह आरजेडी के प्रति अब ओवैसी अधिक आक्रामक हो गए हैं। उन्होंने सीमांचल में ट्रेलर तो दिखाया ही था, अब राज्य भर में अपना जलवा दिखाना चाहते हैं। उनके लिए लोकसभा का चुनाव सिंबोलिक है। असल खेल वे विधानसभा चुनाव में करना चाहते हैं। सीमांचल की चार सीटों पर लोकसभा चुनाव में वे अपना प्रत्याशी उतारने की तैयारी में हैं। सीमांचल में उनके दौरे भी होते रहे हैं। कुछ ही दिन पहले वे सीमांचल में आए थे। अपनी सभाओं में ओवैसी सीधा सवाल लोगों से करते हैं कि मुसलमानों का वोट पाने के लिए आरजेडी M-Y समीकरण की बात करता है, पर क्या कभी मुसलमानों के मसाइल हल करने की आरजेडी ने कभी कोशिश की? उनके इस सवाल में यह संदेश भी अंतर्निहित होता है कि अब मुसलमान आरजेडी का मोह त्यागें।गोपालगंज विधानसभा सीट के लिए 2022 में उपचुनाव हुआ तो दूसरी दफा ओवैसी का जलवा दिखा। उनकी पार्टी का उम्मीदवार जीत तो नहीं पाया, लेकिन आरजेडी प्रत्याशी की हार का कारण तो जरूर बन गया। भाजपा उम्मीदवार को 70053 वोट मिले थे, जबकि आरजेडी प्रत्याशी को 68259 वोट पड़े। जीत-हार का फर्क महज 1794 वोटों का रहा। आश्चर्यजनक ढंग से एआईएमआईएम के उम्मीदवार अब्दुल सलाम को इस क्षेत्र में 12214 वोट मिले थे। ओवैसी के कैंडिडेट ने मुसलमानों के वोट नहीं झटके होते तो यकीनन आरजेडी उम्मीदवार की जीत हो जाती। आरजेडी का M-Y समीकरण ओवैसी ने दरका दिया। तेजस्वी यादव कहते रहे कि ओवैसी की पार्टी बीजेपी की बी टीम है। इसके बावजूद मुसलमानों ने ओवैसी का ही साथ दिया। इससे साफ है कि ओवैसी सिर्फ सीमांचल के इलाके में ही पॉपुलर नहीं हो रहे, बल्कि बिहार के मुसलमानों में उनके प्रति ललक बढ़ी है।

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