धूमधाम से कल मनाया जाएगा गणेश चतुर्थी,जानिए कैसे करना चाहिए पूजा-पाठ की तैयारी

 धूमधाम से कल मनाया जाएगा गणेश चतुर्थी,जानिए कैसे करना चाहिए पूजा-पाठ की तैयारी
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गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी हिंदुओं का एक शुभ त्योहार है जो पूरे देश में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. यह त्योहार हिंदू देवताओं में से एक भगवान गणेश के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. भगवान गणेश को विघ्नहर्ता के नाम से भी जाना जाता है, जो अपने भक्तों के जीवन से बाधाओं को दूर करते हैं. गणेश भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र हैं और उन्हें नई शुरुआत, ज्ञान और बुद्धिमत्ता का देवता माना जाता है. गणेशोत्सव भारत में विशेष रूप से महाराष्ट्र, गोवा, तमिलनाडु, ओडिशा, गुजरात, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल राज्यों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।हिंदू कैलेंडर के अनुसार, गणेश चतुर्थी भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष को मनाई जाती है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, यह अगस्त या सितंबर में आता है. इस वर्ष गणेश चतुर्थी का त्योहार 19 सितंबर 2023, मंगलवार को मनाया जाएगा।

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गणेश विसर्जन गणेशोत्सव के 10वें दिन होता है..इसलिए, गणेश विसर्जन 2023 गुरुवार, 28 सितंबर को होगा।गणेश चतुर्थी दस दिवसीय उत्सव है, जिसे विनायक चतुर्थी या गणेशोत्सव के रूप में मनाया जाता है. गणेश चतुर्थी के अवसर पर, लगभग हर घर में विशेष पूजा और अनुष्ठानों के साथ भगवान गणेश की मूर्ति की पूजा की जाती है, जो सौभाग्य, सौभाग्य और समृद्धि लाने वाली मानी जाती है.गणेश चतुर्थी के 10वें और आखिरी दिन, भगवान गणेश की मूर्ति को पूरी श्रद्धा के साथ पास की नदी में विसर्जित कर दिया जाता है और इस समारोह को गणेश विसर्जन कहा जाता है।

गणेश चतुर्थी 2023 समय:

शुभ मुहूर्त और तिथिद्रिक पंचांग के अनुसार, गणेश चतुर्थी के शुभ मुहूर्त और तिथि में निम्नलिखित शामिल हैं:-चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 18 सितंबर 2023 को दोपहर 12:39 बजे से.चतुर्थी तिथि समाप्त: 19 सितंबर 2023 को दोपहर 1:43 बजे से.गणेश चतुर्थी शुभ मुहूर्त: सुबह 11:01 बजे से दोपहर 01:28 बजे तक (19 सितंबर 2023)

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कैसे किया जाता है गणेश चतुर्थी का अनुष्ठान:

गणेश मूर्तियों की सजावट: गणेश मूर्तियों को घरों में ऊंचे मंचों पर या बाहरी तंबू में सजाकर स्थापित करना.

प्राण-प्रतिष्ठा: एक संस्कार जिसमें गणेश मूर्तियों को जीवंत किया जाता है।

षोडशोपचार: गणेश पूजा 16 अलग-अलग तरीकों से की जाती है. मूर्तियों को लाल और पीले फूलों के साथ-साथ लाल चंदन का लेप लगाया जाता है. वैदिक और गणेश उपनिषद भजनों का लगातार जाप किया जाता है।

मीठे व्यंजन पेश करना: नारियल, गुड़ और 21 मोदक (भगवान गणेश का पसंदीदा व्यंजन) गणेश मूर्तियों के सामने पेश किए जाते हैं।गणेश विसर्जन: गणेश चतुर्थी का अंतिम और अंतिम अनुष्ठान, जिसमें गणेश मूर्तियों को नदियों में विसर्जित किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि मूर्तियाँ शिव और पार्वती के घर कैलास पर्वत पर लौट आती हैं।

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आरती:

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ॥ जय…

एक दंत दयावंत चार भुजा धारी।

माथे सिंदूर सोहे मूसे की सवारी ॥ जय…

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।

बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥ जय…

हार चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा।

लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा ॥ जय…

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।

कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥ जय…

गणेश जी के शुभमंत्र-

– ‘ॐ गं गणपतये नम:।’

– ‘ॐ नमो हेरम्ब मद मोहित मम् संकटान निवारय

-निवारय स्वाहा।’

– ‘ॐ वक्रतुण्डाय हुं।’

– ‘ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।’

– सिद्ध लक्ष्मी मनोरहप्रियाय नमः।

– ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये।

वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नम:।।

गणेश वंदना मंत्र-

गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।।

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