मनमोहन सिंह के कार्यकाल में शेयर बाजार ने पकड़ी थी 5 गुना रफ्तार,भारत में विदेशी कंपनियों की एंट्री कराने में था उनका बेहद योगदान

 मनमोहन सिंह के कार्यकाल में शेयर बाजार ने पकड़ी थी 5 गुना रफ्तार,भारत में विदेशी कंपनियों की एंट्री कराने में था उनका बेहद योगदान
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देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अब इस दुनिया को छोड़कर जा चुके हैं. उनके बारे में अब कई बातें हो रही है. किस तरह से उन्होंने 1991 में दुनिया के लिए भारत के रास्ते खोले. उदारीकरण के दौर की शुरुआत कर भारत में विदेशी कंपनियों की एंट्री कराई. उनके किए गए इकोनॉमिक रिफॉर्म देश को कितना आगे लेकर गए. साथ ही साल 2008 की मंदी को भारत में अहसास तक नहीं होने दिया. वहीं दूसरी ओर मनमोहन सिंह शेयर बाजार के आसरे भी चीजों को काफी आगे लेकर गए.उनके 10 साल के टेन्योर के दौरान सेंसेक्स में 5 गुना का उछाल देखने को मिला. खास बात तो ये है कि इन साल 2004 से लेकर 2014 तक शेयर बाजार 10 साल में सिर्फ दो बार ही नेगेटिव देखने को मिला. जबकि 8 बार निवेशकों की जमकर कमाई कराई. आइए आंकड़ों के भाषा में समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर डॉ. मनमोहन सिंह के दौर में निवेशकों को कितनी कमाई कराई है.देश के पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दुनिया के सबसे बड़े इकोनॉमिस्ट में से एक मनमोहन सिंह के दौर में शेयी बाजार में काफी उछाल देखने को मिला.

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आंकड़ों के अनुसार बांबे स्टॉक का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स में 2004 और 2014 के बीच 398 फीसदी का उछाल देखने को मिला. जब उन्होंने पीएम पद का भार संभाला था तब सेंसेक्स 4,961 अंकों पर मौजूद थे. जब साल 2014 में सत्ता बदली तो सेंसेक्स 24,693 अंकों तक पहुंच गया था. मतलब साफ है कि सेंसेक्स ने निवेशकों को मनमोहन सिंह ने अपने 10 साल कके टेन्योर में जमकर कमाई कराई है.देश के पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के दौरान सेंसेक्स ने 10 साल में से 8 साल पॉजिटिव रिटर्न दिया है. जबकि दो ही साल ऐसे साबित हुए जहां निवेशकों को नुकसान हुआ. साल 2009 में शेयर बाजाने निवेशकों को 81 फीसदी का रिटर्न दिया था. जबकि साल 2006 और 2007 दोनों सालों में निवेशकों को 47 फीसदी का रिटर्न दिया है. इसके लावा 2004 में 33 फीसदी, 2005 में 42 फीसदी, 2010 में 17 फीसदी, 2012 में 26 फीसदी और साल 2013 में 33 फीसदी का रिटर्न दिया है. साल 2008 में ग्लोबल मंदी के दौरान शेयर बाजार में बड़ी गिरावट देखने को मिली थी. साल 2011 में सेंसेक्स में 27 फीसदी का नुकसान देखने को मिला है. डॉ. मनमोहन सिंह भारत के 13वें प्रधानमंत्री थे और भारत के चौथे सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले प्रधानमंत्री भी हैं. वह जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और मौजूदा प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से पीछे हैं.डॉ. मनमोहन सिंह अपने दशकों के सार्वजनिक जीवन के दौरान कई प्रतिष्ठित पदों पर भी रहे. वह 1980-1982 में भारत के योजना आयोग के सदस्य थे और 1982-1985 के दौरान भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर बने. 1991 में, उन्हें पीवी नरसिम्हा राव सरकार ने भारत के वित्त मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया और बाद में लगातार दो बार पीएम बने. वह 1998 और 2004 के बीच राज्यसभा में विपक्ष के नेता (एलओपी) भी थे. गुरुवार, 26 दिसंबर को 92 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया. उन्हें भारत के 1991 के आर्थिक उदारीकरण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए याद किया जाता है, जिसने देश को आर्थिक उदारीकरण की दिशा में आगे बढ़ाया.डॉ. सिंह के आकस्मिक निधन पर कॉमेंट करते हुए टिप्पणी करते हुए, विशेषज्ञ वीके विजयकुमार, मुख्य निवेश रणनीतिकार, जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज ने मीडिया रिपोर्ट में कहा कि जैसा कि राष्ट्र भारत में उदारीकरण के वास्तुकार, मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि दे रहा है. उन्होंने कहा कि शेयर आज जिस ऊंचाई पर कारोबार कर रहा है, उसमें सबसे अहम योग डॉ. मनमोह सिंह की अहम योगदान रहा है. 1991 में उदारीकरण की शुरुआत के बाद से शेयर बाजार में 780 गुना का इजाफा देखने को मिला. जहां सेंसेक्स साल 1991 में 1,000 अंकों के आसपास था, बढ़कर 78,000 से ऊपर कारोबार कर रहा है.मास्टर कैपिटल सर्विसेज की निदेशक पलक अरोड़ा चोपड़ा ने 1991 के उदारीकरण सुधारों के बाद भारतीय पूंजी बाजार में “उल्लेखनीय परिवर्तनों” के लिए डॉ. सिंह के योगदान को याद किया. उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह ने देश के आर्थिक परिदृश्य को बदला और आधुनिक भारत की नींव रखी, जिसमें लाइसेंस राज का उन्मूलन, व्यापार उदारीकरण, विदेशी पूंजी निवेश की अनुमति जैसे विभिन्न नियम शामिल थे.

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