आज मनाया जा रहा है धनतेरस,जानिए पूजन विधि और शुभ मुहूर्त

आज धनतेरस का त्योहार मनाया जा रहा है. धनतेरस का त्योहार दिवाली से दो दिन पहले अर्थात कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है. यह त्योहार खुशहाली, सुख और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. धनतेरस को धन त्रयोदशी और धन्वंतरि जयंती के नाम से भी जाना जाता है।धनतेरस को धन्वंतरि जयंती के नाम से इसलिए जानते हैं क्योंकि इस दिन आयुर्वेद के प्रवर्तक धन्वंतरि जी प्रकट हुए थे. धनतेरस का नाम धन और तेरस ये दो शब्दों से बना है जिसमें धन का मतलब संपत्ति और समृद्धि है और तेरस का अर्थ है पंचांग की तेरहवीं तिथि. इस दिन भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी और कुबेर देवता की उपासना की जाती है।आज धनतेरस मनाया जा रहा है।

ज्योतिर्विद राजकुमार शास्त्री जी के मुताबिक, धन त्रयोदशी की तिथि 29 अक्टूबर यानी आज सुबह 10 बजकर 31 मिनट से शुरू होगी और तिथि का समापन 30 अक्टूबर यानी कल दोपहर 1 बजकर 15 मिनट पर होगा. प्रदोष काल आज शाम 5 बजकर 38 मिनट से रात 8 बजकर 13 मिनट तक रहेगा।धनतेरस का पूजन सायंकाल में किया जाता है. जिसका मुहूर्त आज शाम 6 बजकर 31 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 31 मिनट तक रहेगा. यानी धनतेरस के पूजन के लिए 1 घंटा 42 मिनट का समय मिलेगा।इसके अलावा, धनतेरस पर आज त्रिपुष्कर योग का निर्माण भी हो रहा है जिसमें खरीदारी करना बहुत ही शुभ माना जाता है।धनतेरस की पूजा संध्या काल में पूजा की जाती है यानी प्रदोष काल में सूर्यास्त के बाद. इस दिन उत्तर दिशा की तरफ आप एक चौकी रखें या लकड़ी का पटरा रखें, उस पर कपड़ा बिछाइए और उसके ऊपर कुबेर भगवान और धनवंतरी भगवान की मूर्ति की स्थापना करें. भगवान का चेहरा उत्तर की ओर होना चाहिए. दोनों के सामने एक एक मुखी घी का दीपक जलाएं. एक दीपक कुबेर भगवान के लिए और एक दीपक धन्वंतरी भगवान के लिए जलाएं।फिर, कुबेर देवता को सफेद मिठाई का भोग लगाएं और धनवंतरी देव को पीली मिठाई का भोग लगाएं. इसके बाद कुबेर देवता के मंत्र का जप करें – ह्रीं कुबेराय नमः, ओम ह्रीं कुबेराय नमः. उसके बाद धन्वंतरी भगवान के लिए धन्वंतरी स्तोत्र का पाठ करें. इसके बाद आप प्रसाद ग्रहण करें. फिर, जहां पर आपने कुबेर देवता को रखा था या जहां पर धन्वंतरी देवता को रखा था वहीं दीपावली की भी पूजा करें।