वेतन वृद्धि से वंचित करना कानून का उल्लंघन है,नीतीश सरकार को कोर्ट ने दिया बड़ा आदेश
बिहार सरकार को पटना हाईकोर्ट ने बड़ा झटका दिया. कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई करते हुए नोशनल इंक्रीमेंट मामले की याचिका को खारिज कर दिया है. इसके साथ ही सेवानिवृत्त कर्मचारियों के पक्ष में फैसले लेने का आदेश सरकार को दिया गया है.नोशनल इंक्रीमेंट क्या है?: नोशनल इंक्रीमेंट यानि काल्पनिक वेतन वृद्धि, अगर कोई सरकारी कर्मचारी वेतन वृद्धि से एक दिन पहले 30 जून या 31 दिसंबर को रिटायर हो रहा है तो उसे भी इंक्रीमेंट (वेतन वृद्धि) का लाभ मिलेगा. केंद्र सरकार की ओर से इस नीति को मंजूरी दी जा चुकी है.रिटायर करने वाले को होता था नुकसान: 2006 से पहले सरकारी कर्मचारियों को नियुक्ति की तारीख के अनुसार वेतन वृद्धि का लाभ मिलता था, लेकिन एक जनवरी 2006 के बाद इंक्रीमेंट की तारीख 1 जुलाई की गयी. 2016 में संसोधन के साथ इसमें दो तारीख 1 जनवरी और 1 जुलाई तय की गयी.

तारीखों के बदलाव के कारण इंक्रीमेंट से एक दिन पहले रिटायर होने वाले कर्मचारी को इसका फायदा नहीं मिलता था.कर्मचारी के पक्ष में कोर्ट का फैसला: 2017 में मद्रास हाईकोर्ट कर्मचारियों की एक याचिका पर फैसला सुनाया था, जो कर्मचारी पूरे साल मेहनत करते हैं, वे अंतिम दिन भी इंक्रीमेंट के हकदार हैं. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी 2023 और 2024 में मद्रास कोर्ट के इस फैसले को सही ठहराया था.किसे लाभ मिलेगा?: कोर्ट के इस फैसले पर कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने साफ किया कि इसका लाभ उन कर्मचारियों को मिलेगा, जिनकी सेवा पूरे साल अच्छी रही हो. वैसे कर्मचारी जो 30 जून या फिर 31 दिसंबर को रिटायर हो रहे हों. यह नीति सिर्फ पेंशन की गणना के लिए ही लागू होगा. यानि रिटायर करने वाले कर्मचारी के वेतन में वृद्धि करने के साथ पेंशन की गणना की जाएगी.बिहार सरकार ने क्या कहा?: बिहार सरकार की ओर से इस फैसले के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. सरकार की ओर से दलील दी गई कि 30 जून को सेवानिवृत्त कर्मचारी 1 जुलाई को सेवा में नहीं रहते, इसलिए वे नियमानुसार वेतन वृद्धि के पात्र नहीं हैं.कोर्ट के फैसले के खिलाफ: राज्य सरकार ने सिंगल बेंच द्वारा पारित उस निर्णय के खिलाफ अपील दायर की थी, जिसमें जल संसाधन विभाग के सेवानिवृत्त जूनियर इंजीनियरों को सेवा की पूर्ण अवधि के आधार पर नोशनल इंक्रीमेंट देकर उनकी अंतिम वेतन गणना एवं पेंशन फिर से निर्धारित करने का निर्देश दिया गया था.वेतन वृद्धि से वंचित करना कानून का उल्लंघन: पटना हाईकोर्ट ने के एक्टिंग चीफ जस्टिस सुधीर सिंह की खंडपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि कर्मचारी द्वारा एक वर्ष की संतोषजनक सेवा पूर्ण के बाद केवल तकनीकी तिथि के आधार पर वृद्धि से वंचित करना अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होगा. 30 जून को सेवानिवृत्त होने वाले सरकारी कर्मचारी भी वेतन वृद्धि के अधिकारी हैं.डीसीएलआर पदस्थापन मामले में सुनवाई: दूसरी ओर हाईकोर्ट ने डीसीएलआर पदस्थापन से जुड़े अपने पूर्व आदेश का पालन नहीं होने पर राज्य सरकार से दो सप्ताह के भीतर शपथ-पत्र दाखिल कर स्पष्टीकरण देने को कहा है. जस्टिस हरीश कुमार की पीठ के समक्ष याचिकाकर्ताओं की ओर से वरीय अधिवक्ता अभिनव श्रीवास्तव ने दलील दी.12 दिसंबर अगली सुनवाई: 19 जून, 2025 के आदेश में याचियों को डीसीएलआर पद पर पदस्थापित करने और बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को नवसृजित पदों पर समायोजित करने का निर्देश दिया गया था. मगर अब तक पालन नहीं हुआ. राज्य की ओर से अधिवक्ता ने बताया कि उन्हें आवश्यक निर्देश प्राप्त हो गए हैं. जल्द ही जवाब दाखिल किया जाएगा. कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 12 दिसंबर 2025 निर्धारित की है.
