महिला आरक्षण पर बोली कांग्रेस-यह तो कांग्रेस की देन है फिर भी हमलोग इसका नहीं लेना चाहते हैं क्रेडिट

 महिला आरक्षण पर बोली कांग्रेस-यह तो कांग्रेस की देन है फिर भी हमलोग इसका नहीं लेना चाहते हैं क्रेडिट
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पांच दिवसीय संंसद के विशेष सत्र के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) कैबिनेट द्वारा महिला आरक्षण बिल (Women Reservation Bill) को मंजूरी देने के बाद से देश के सियासी दलों की राय सामने आने का सिलसिला जारी है. दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी के बाद अब दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली (Arvinder Lovely ) ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण कांग्रेस की देन है. हम किसी चीज की क्रेडिट नहीं लेते हैं. महिला आरक्षण की लड़ाई सोनिया गांधी (Sonia gandhi) ने लड़ी है.अरविंदर सिंह लवली ने कहा कि देश की महिलाओं को आरक्षण मिले, इस मुहिम की शुरुआत सबसे पहले देश की सबसे पुरानी पार्टी के नेताओं ने ही शुरू की थी. कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी महिलाओं को आरक्षण देने के मसले को जोर शोर से उठाती रही हैं।

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दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने महिला आरक्षण को लेकर सोनिया गांधी की मुहिम का, उनकी ओर से 20 सितंबर 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखी एक चिट्ठी का हवाला भी दिया है. लवली ने अपने पोस्ट एक्स पर इस चिट्ठी को सभी से साझा भी किया है. अरविंदर सिंह लवली जिस पत्र का जिक्र अपने पोस्ट एक्स में किया है उसमें सोनिया गांधी ने पीएम मोदी को लिखा ह कि आपको याद होगा कि राज्यसभा ने 9 मार्च, 2010 को महिला आरक्षण विधेयक पारित किया था। हालांकि, तब से यह किसी न किसी कारण से लोकसभा में लटका हुआ है। मैं, आपसे यह अनुरोध करने के लिए लिख रही हूं कि आप लोकसभा में अपने बहुमत का लाभ उठाते हुए अब महिला आरक्षण विधेयक को निचले सदन में भी पारित कराएं। कांग्रेस पार्टी हमेशा इस कानून का समर्थन करती रही है. आगे भी करती रहेगी. महिला आरक्षण उनके सशक्तिकरण की दिशा में एक अहम कदम साबित होगा. अपने पत्र में सोनिया गांधी ने इस बात का भी जिक्र किया था कि यह कांग्रेस पार्टी और उसके दिवंगत नेता राजीव गांधी ही थे, जिन्होंने सबसे पहले संविधान संशोधन विधेयकों में पंचायतों और नगर पालिकाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण का प्रावधान किया था, जिसे विपक्षी दलों ने 1989 में राज्यसभा में विफल कर दिया था। साल 1993 में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में संसद के दोनों सदनों द्वारा 73वां और 74वां संशोधन विधेयक पारित हुआ था।

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