राहुल-प्रियंका के वजह से बिहार चुनाव में हुई हार!सीपीआई सांसद ने दिया बड़ा बयान
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सांसद पी संदोश कुमार ने बिहार में महागठबंधन की करारी हार के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने आरोप लगाया कि देश की मुख्य विपक्षी पार्टी राज्य में सभी राजनीतिक ताकतों के साथ को-ऑर्डिनेट नहीं कर पाई. उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी राज्य में ‘तीसरे मोर्चे’ के रूप में मजबूत होने की कोशिश करेगी. बता दें कि बिहार में सीपीआई महागठबंधन का हिस्सा है.बिहार के चुनाव नतीजों पर पूछे गए सवाल के जवाब में राज्यसभा सदस्य कुमार ने कहा, ”कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने बिहार में प्रचार किया, लेकिन पार्टी ने सभी राजनीतिक ताकतों के साथ समन्वय स्थापित करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई. उन्होंने महागठबंधन के घटक दलों के बीच कई सीट पर हुए “दोस्ताना मुकाबले” की ओर भी इशारा किया.संसद के शीतकालीन सत्र के बारे में पूछे जाने पर सीपीआई सांसद ने कांग्रेस को संसद सत्रों के दौरान मुद्दों को उठाने में विपक्षी दलों के बीच समन्वय नहीं कर पाने के लिए जिम्मेदार ठहराया.

उन्होंने कहा, “महागठबंधन एक ताकत के रूप में नहीं उभरा. राजनीतिक दलों के बीच लड़ाई हुई, कांग्रेस एक प्रमुख कारण है, क्योंकि विपक्षी खेमे में सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते वे बेहतर कर सकते थे. उन्होंने कोई पहल नहीं की.”उन्होंने आगे कहा, “प्रियंका गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस के सभी बड़े नेता बिहार में प्रचार के लिए गए थे, लेकिन साथ ही वे सभी ताकतों के समन्वय में उतनी रुचि नहीं दिखा रहे थे. इसलिए, ये लोग महागठबंधन की हार के लिए ज़िम्मेदार थे. वास्तव में, हम बेहतर प्रदर्शन कर सकते थे, लेकिन कांग्रेस पार्टी के इस सुस्त रवैये के कारण संभव नहीं हुआ. उन्होंने चार सीटों पर सीपीआई के खिलाफ चुनाव लड़ा, उन्होंने कई सीटों पर आरजेडी के खिलाफ चुनाव लड़ा.” सीपीआई सांसद ने एनडीए पर आरोप लगाते हुए कहा कि एसआईआर और मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत महिलाओं को 10,000 रुपये देने जैसे अन्य प्रमुख कारणों के अलावा, मतदाताओं को प्रभावित करने के कई प्रयास किए गए, लेकिन जब हम दूसरे कारकों की बात करते हैं, तो कांग्रेस की निष्क्रियता या धर्मनिरपेक्ष ताकतों के साथ समन्वय स्थापित करने में असमर्थता एक प्रमुख कारण है. कम से कम प्रदर्शन तो बेहतर हो सकता था.”उन्होंने कहा,मुझे उम्मीद है कि सीपीआई आने वाले दिनों में बिहार में तीसरे मोर्चे की भूमिका निभाएगी. तीसरा मोर्चा इस मायने में कि बेशक दो शक्तिशाली मोर्चे हैं, और सीपीआई फिलहाल महागठबंधन का हिस्सा है. लेकिन आने वाले दिनों में बिहार में विभिन्न जन-हितैषी मुद्दे उठाएंगे. सीपीआई में वह क्षमता है, उसका राजनीतिक दृष्टिकोण स्पष्ट है और हमने अतीत में बिहार में ऐसा किया है, इसलिए व्यक्तिगत रूप से, मेरी आकांक्षा इसे बिहार की धरती पर एक बड़ी, विशाल, उभरती हुई वैकल्पिक ताकत बनाना है।
