रमजान से पहले परेशान हुए बांग्लादेशी,आसमान छू रही है महंगाई

बांग्लादेश में रमजान की तैयारियां जोरो पर हैं. इसी बीच वहां एक ‘महंगाई’ नाम की समस्या पैदा हो गई है यानी महंगाई आसमान छू रही है. रमजान के समय जिन खाने वाली चीजों से इफ्तार करना पाक माना जाता है, उन सभी चीजों के दाम सातवें आसमान पर हैं. उनकी कीमतों में फिलहाल जबरदस्त उतार चढ़ाव जारी है. आम लोगों की ये समस्या देखकर वहां की सरकार का दावा है कि कीमतें जल्द नियंत्रित हो जाएंगी, लेकिन जमीनी हकीकत इसके विपरीत नजर आ रही है. चलिए इस रिपोर्ट के जरिए एक बार बांग्लादेश की बाजार को समझ लीजिए.बांग्लादेश के लोगों को इस बात का गहरा विरोधाभास महसूस हो रहा है कि सरकार के आश्वासनों के बावजूद कीमतें कम नहीं हो रही हैं. खुदरा और थोक विक्रेताओं के बीच कीमतों को लेकर आरोप-प्रत्यारोप जारी है, जबकि उपभोक्ताओं को संदेह है कि बाजार में एक मजबूत सिंडिकेट सक्रिय है, जो इन चीजों की कीमतें बढ़ाने में लगा हुआ है.

कई लोग इसे सरकारी निगरानी की कमजोरी का नतीजा मान रहे हैं.बढ़ती महंगाई का सबसे ज्यादा असर नौकरी पेशे वाले परिवारों पर पड़ा है. बांग्लादेश की एक समाचार एजेंसी के मुताबिक तेजगांव के रहने वाले रिटायर्ड सरकारी अधिकारी कमरुज्जमां खान ने रमजान के दौरान जरूरी चीजों की कीमतों की बढ़ोतरी पर चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि वह फलों और मांस की खरीदारी में कटौती करने पर मजबूर हो गए हैं. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार बाजार को नियंत्रित करने में नाकाम रही है, जिससे व्यापारी मनमानी कर रहे हैं.वहीं, रामपुरा की प्राइवेट स्कूल की एक शिक्षिका राबेया अख्तर भी महंगाई से परेशान हैं. उनके पति बेरोजगार हैं और परिवार पूरी तरह उनकी सीमित आय पर ही निर्भर है. उन्होंने कहा कि उनका वेतन 40,000 टका से थोड़ा ज्यादा है, लेकिन इससे घर के सभी खर्च पूरे नहीं हो पा रहे हैं. उन्होंने शिकायत की कि सरकार लगातार कह रही है कि आयात बढ़ने से कीमतें कम होंगी, लेकिन इसका असर अब तक बाजार में देखने को नहीं मिला है.बाजार पर सिंडिकेट का कंट्रोलबांग्लादेश उपभोक्ता संघ (सीएबी) के उपाध्यक्ष एसएम नाजर हुसैन ने कहा कि हाल के राजनीतिक बदलावों के बावजूद, बाजार में सक्रिय सिंडिकेट का प्रभाव बना हुआ है. उन्होंने बताया कि इन सिंडिकेटों ने सिर्फ अपने तरीके बदले हैं, लेकिन वे अब भी कीमतों को कंट्रोल कर रहे हैं.सीएबी ने एक प्रस्ताव रखा है कि आयातकों से लेकर खुदरा विक्रेताओं तक, हर स्तर पर मूल्य नियंत्रण की एक प्रभावी प्रणाली बनाई जाए. हुसैन ने कहा कि जब तक इस तरह की नीति लागू नहीं होती, तब तक उपभोक्ताओं को लगातार कीमतों में बढ़ोतरी का सामना करना पड़ेगा. उन्होंने यह भी बताया कि जमाखोरी की वजह से आवश्यक वस्तुओं की कीमतें और ज्यादा बढ़ रही हैं.ढाका के बाजारों में खाने वाली चीजों की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है. हाल ही में खजूर की कीमत 350 से 1,700 टका प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है, जबकि चना 110 टका प्रति किलोग्राम पर बिक रहा है. पैकेट बंद चीनी 170 टका प्रति किलोग्राम हो गई है और सोयाबीन तेल 175 टका प्रति लीटर तक पहुंच गया है. फिलहाल लगातार बढ़ती कीमतों से उपभोक्ता चिंतित हैं. ये कीमते पिछले साल से लगभग 25 परसेंट ज्यादा हैं.