कांग्रेस के घेरे में आए अन्ना हजारे,SIR मामले पर वह क्यों साध रखे है इतना चुप्पी?

समाजसेवी अन्ना हजारे विपक्ष के निशाने पर हैं. कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों का कहना है कि वोट चोरी जैसे अहम मुद्दे पर अन्ना शांत हैं. महाराष्ट्र कांग्रेस ने अन्ना से खुलकर बोलने और सत्य के मार्ग पर चलने की अपील की. पार्टी ने कहा कि अन्ना की चुप्पी उचित नहीं है. देश में वोट चोरी एक बड़ा मुद्दा होने के बावजूद, वह बोल नहीं रहे हैं. कांग्रेस ने ये भी कहा कि अन्ना हजारे को बताना चाहिए कि क्या वह बीजेपी को सत्ता में लाने की साजिश का हिस्सा थे. कांग्रेस भले ही अन्ना पर इस मुद्दे पर शांत रहने का आरोप लगा रही है, लेकिन वह मोदी सरकार के 11 वर्षों में कई मौकों पर खुलकर बोले हैं. उन्होंने कई बार तो सरकार को घेरा भी है.अन्ना हजारे 2011 के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हुए. उनका उद्देश्य सरकारों में भ्रष्टाचार की जांच के लिए एक मजबूत जन लोकपाल विधेयक की स्थापना करना था.

उन्होंने इस कानून को पारित करने की मांग को लेकर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किए और भूख हड़तालें कीं. वो भी ऐसे समय में जब कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार भ्रष्टाचार के कई आरोपों का सामना कर रही थी.कांग्रेस के हमले से पहले पुणे में अन्ना के खिलाफ पोस्टर लगाया, जिसमें अन्ना को नींद से उठने की मांग की गई. अन्ना से मांग की गई कि वह वोट चोरी के खिलाफ आंदोलन करें. अन्ना ने इसका जवाब भी दिया. उन्होंने कहा कि मैंने 10 कानून लाने की पहल की, लेकिन 90 साल की उम्र के बाद भी अगर लोग मुझसे यह उम्मीद करते हैं कि मैं सब कुछ करता रहूं तो मुझे लगता है कि यह उम्मीद गलत है. मुझे लगता है कि मैंने जो किया है, उसे आज के युवाओं को आगे बढ़ाना चाहिए.ऐसा नहीं है कि अन्ना मोदी सरकार में शांत रहे हैं. 2019 में तो उन्होंने यहां तक कहा था कि हां 2014 में बीजेपी ने मेरा इस्तेमाल किया था. अन्ना ने अपने गांव रालेगण-सिद्धि में कहा, हां, बीजेपी ने 2014 में मेरा इस्तेमाल किया. सब जानते हैं कि लोकपाल के लिए मेरे आंदोलन ने ही बीजेपी और आम आदमी पार्टी (आप) को सत्ता तक पहुंचाया. अब मेरे मन में उनके लिए सारा सम्मान खत्म हो गया है. उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि जिन लोगों को 2011 और 2014 में उनके आंदोलन से फायदा हुआ था, अब वही लोग उनकी मांगों से मुंह मोड़ चुके हैं और पिछले पांच वर्षों में उनकी मांगों को लागू करने के लिए कुछ भी नहीं किया गया.इससे पहले 2018 में भी अन्ना हजारे ने सरकार पर हमला बोला था. मोदी सरकार पर सीधा हमला बोलते हुए उन्होंने कहा, देश में भ्रष्टाचार लगातार बढ़ रहा है, लेकिन देश चलाने वाले लोग इसे लेकर बहुत गंभीर नहीं हैं. उन्होंने आगे कहा कि सीबीआई जैसी जांच एजेंसी सरकार के नियंत्रण में नहीं होनी चाहिए, क्योंकि सीबीआई का दुरुपयोग होने की संभावना रहती है. उन्होंने आगे कहा कि सरकार को सीबीआई और सीवीसी जैसी एजेंसियों के काम में दखल नहीं देना चाहिए.अन्ना हजारे मोदी सरकार के खिलाफ अनशन पर भी बैठ चुके हैं. 23 मार्च 2018 को वह अनशन पर बैठे थे. सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि लोकपाल और कृषि संकट के मुद्दों पर सरकार से बातचीत करने के उनके प्रयासों का कोई नतीजा नहीं निकला. अन्ना ने कहा, मैंने पिछले चार सालों में मोदी सरकार को 43 पत्र लिखे हैं, लेकिन मुझे कोई जवाब नहीं मिला. उन्होंने कहा, देश के किसान संकट में हैं क्योंकि उन्हें लाभकारी मूल्य नहीं मिल रहे हैं और सरकार उचित मूल्य सुनिश्चित करने के लिए कोई कदम नहीं उठा रही है.इसके पहले अन्ना हजारे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर केंद्र में लोकपाल की नियुक्ति में रुचि न लेने का आरोप लगाया था. उन्होंने कहा कि मोदी लोकपाल को लेकर कभी गंभीर नहीं रहे. उन्होंने कहा कि लोकपाल की नियुक्ति में देरी का कारण यह था कि प्रधानमंत्री को डर था कि एक बार यह हकीकत बन गया, तो उनके कार्यालय के साथ-साथ उनके मंत्रिमंडल के सदस्य भी इसके दायरे में आ जाएंगे.अन्ना हजारे ने 14 जनवरी 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा और दिल्ली में किसानों के मुद्दों पर अपने जीवन की अंतिम भूख हड़ताल शुरू करने के अपने निर्णय को दोहराया था. अन्ना हजारे ने कहा कि नए कृषि कानून लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप नहीं हैं और विधेयकों का मसौदा तैयार करने में लोगों की भागीदारी आवश्यक है।