ईरान-इजरायल को लेकर सख्त हुआ अमेरिका,लेने जा रहा है बड़ा फैसला!

 ईरान-इजरायल को लेकर सख्त हुआ अमेरिका,लेने जा रहा है बड़ा फैसला!
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ईरान और इजरायल के बीच जारी जंग के हालात लगातार बिगड़ रहे हैं. दोनों तरफ से मिसाइल और ड्रोन अटैक हो रहे हैं. कुछ लोगों के मारे जाने और ईरान-इजरायल दोनों देशों में भारी नुकसान की खबर है. हालांकि, अभी तक ये जंग सिर्फ ईरान और इजरायल के बीच ही सीमित नजर आ रही है. इस बीच संयुक्‍त राष्‍ट्र, भारत, रूस और अमेरिका शांति की अपील दोनों देशों से कर रहे हैं. लेकिन इस बीच यमन और इराक में भी बम धमाकों की खबरें भी मिल रही हैं. ऐसे में क्‍या ये जंग ईरान और इजरायल की सीमाओं को पार कर सकती है? क्‍या होगा अगर इस युद्ध में अमेरिका और रूस-चीन ‘सीधे’ शामिल हो जाएंगे? क्‍या ये ईरान-इजरायल के बीच जारी जंग में सबसे बुरे हालात हो सकते हैं? ईरान-इजरायल के इस जंग में सबसे बुरा क्या हो सकता है… आइए जानने की कोशिश करते हैं।ईरान और इजरायल के बीच जारी जंग में अगर अमेरिका ‘सीधे’ कूद जाता है, तो परिणाम बेहद विनाशकारी हो सकते हैं. अमेरिका के ‘सीधे’ इस जंग में कूदने की बात हम इसलिए कह रहे हैं, क्‍योंकि राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप के लाख मना करने के बावजूद, ईरान का साफ-साफ कहना है कि अमेरिकी सेना ने इजरायल के हमलों का समर्थन किया और कम से कम मौन समर्थन किया.

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जंग के बीच ऐसी आशंका जताई जा रही है कि ईरान मध्य पूर्व में अमेरिकी ठिकानों पर हमला कर सकता है- जैसे इराक में विशेष बलों के शिविर, खाड़ी में सैन्य अड्डे और क्षेत्र में राजनयिक मिशन. ईरान की प्रॉक्सी सेना (हमास और हिजबुल्लाह) बहुत कम हो सकती है, लेकिन इराक में इसके समर्थक मिलिशिया सशस्त्र बल बरकरार हैं. अमेरिका को डर था कि इस तरह के हमले की आशंका है, इसीलिए उसने अपने कुछ कर्मियों को वापस बुला लिया. इसके साथ ही कड़े शब्‍दों में संदेश दिया कि ईरान को अमेरिकी ठिकानों पर किसी भी हमले के बाद गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं. ऐसे में क्या होगा यदि कोई अमेरिकी नागरिक, तेल अवीव या कहीं और मारा जाता है? ऐसे में ट्रंप खुद को कार्रवाई करने के लिए मजबूर पा सकते हैं. इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पर लंबे समय से ईरान को हराने में मदद करने के लिए अमेरिका को घसीटने का आरोप लगाया जाता रहा है. अमेरिका के पास ऐसे बंकर-बस्टिंग बम हैं, जो ईरानी परमाणु ठिकानों खासतौर पर फोर्डो की सबसे गहरी जगहों को भेद सकते हैं. रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका पर इस युद्ध में शामिल होने का बेहद दबाव है. हालांकि, ट्रंप ने चुनावी प्रचार के दौरान अपने निर्वाचन क्षेत्र से वादा किया था कि वह मध्य पूर्व में कोई तथाकथित “लंबा युद्ध” शुरू नहीं करेंगे, लेकिन उतने ही रिपब्लिकन इजरायल की सरकार और उसके इस विचार का समर्थन करते हैं कि अब तेहरान में शासन परिवर्तन की मांग करने का समय आ गया है.इजरायल ईरान युद्ध के लंबा खिंचने के आसार नजर आ रहे हैं. जिस तरह ये एक-दूसरे के महत्‍वपूर्ण ठिकानों को निशाना बना रहे हैं, उससे तो यही स्थिति बनती नजर आ रही है. वहीं, युद्ध के बीच अमेरिका ने अपने नागरिकों को किया अलर्ट और कहा कि बिना कारण ईरान की यात्रा ना करें. अमेरिका ने कहा कि जो ईरान में हैं वो तुरंत देश छोड़ दें, जो अमेरिकी नागरिक ईरान छोड़ने में असमर्थ हैं, उन्हें लंबे समय तक वहां रहने के लिए तैयार रहना चाहिए. अमेरिका के बयान से भी संकेत मिल रहा है कि ये जंग लंबी खिंच सकती है, जिसका असर पूरी दुनिया की अर्थव्‍यवस्‍था पर देखने को मिल सकता है. क्‍योंकि ईरान तेल और गैस का बड़ा उत्‍पादक है।

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