अपने बेटे को टिकट दिलाने में जुटे है सभी बड़े नेता,जनता क्या कर पाएगी स्वीकार?
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनैतिक पार्टियों की चुनावी रणनीतियां, बैठकें और उन्हें जमीन पर उतारने की तैयारी की जा रही है. बिहार चुनाव के लिहाज से हाल ही में दिल्ली में अजय माकन की अध्यक्षता में बिहार कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमिटी की बैठक आयोजित की गई. सूत्रों के मुताबिक, इस बार कांग्रेस की रणनीति में थोड़ा फेर बदल है. इस बार पार्टी के कई नेता युवा चेहरों को चुनाव में हाथ आजमाने के लिए उतारना चाहते हैं.इस रणनीति के तहत कई नेता अपने बेटों को चुनावी मैदान में उतारना चाहते हैं.आइए जानते हैं कौन से नेता अपने बेटों को इस बार के बिहार चुनाव में उतार सकते हैं. इनमें से कुछ पहली बार अपने बेटों को चुनावी राजनीति में उतार रहे हैं तो कुछ के लिए ये पहली बार होगा.सूत्रों के मुताबिक, अखिलेश प्रसाद सिंह लगता है ये अपने बेटे को तब तक MP MLA का चुनाव लड़वाते रहेंगे जब तक वो जीत न जाए. फिर चाहे टिकट अपनी पार्टी दे या दूसरे दल से दिलाना पड़े. लेकिन इनके लिए अपने बेटे का चुनाव लड़ना जरूरी है. वहीं मदन मोहन झा, बिहार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष, वर्तमान में बिहार विधान परिषद में पार्टी के नेता हैं.

इनके बेटे की स्क्रीनिंग तो हो चुकी है और अब चुनावी राजनीति में अपने बेटे को लॉन्च करना चाहते हैं.बात करें महिलाओं में तो पूर्व लोक सभा स्पीकर मीरा कुमार भी कांग्रेस की कद्दावर दलित नेता हैं. लोकसभा चुनाव हार चुके अपने बेटे को एक बार फिर विधानसभा का टिकट दिलाकर रिलॉन्च करना चाहती हैं. वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष शकील अहमद भले खुद सक्रिय राजनीति से दूर हो गए हों..लेकिन, इस बार अपने बेटे को टिकट दिलाकर राजनीतिक विरासत सौंपना चाहते हैं. इसलिए विदेश में रह रहे अपने बेटे को उन्होंने कुछ महीने पहले देश में बुलाकर लोगों के बीच घूमना शुरू कर दिया है.कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता, वजीगंज से 6 बार के विधायक और पूर्व मंत्री अवधेश सिंह भी इस बार अपनी जगह अपने बेटे को टिकट दिलाना चाहते हैं. सूत्रों के मुताबिक, स्क्रीनिंग कमिटी की बैठक में इन नेताओं ने अपने बेटों को लेकर इस बैठक में चर्चा की है।
