बिहार में करीब 68 फीसदी विधायक निकले दागी,जनता के सामने बनते हैं स्वच्छ छवि वाले नेता!

 बिहार में करीब 68 फीसदी विधायक निकले दागी,जनता के सामने बनते हैं स्वच्छ छवि वाले नेता!
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बिहार में इस साल की अंतिम तिमाही में चुनाव कराए जाने की चर्चा है। इस बार चुनाव में जदयू-राजद जैसे क्षेत्रीय स्तर पर मजबूत दलों के साथ-साथ भाजपा और कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टियां एक बार फिर जनता के सामने अपने हिस्से के काम के वोट मांगने जाएंगी। कुछ और दल भी चुनाव में अपनी किस्मत आजमाएंगे। मसलन खुद की साफ छवि के बलबूते बिहार तक को साफ करने का वादा करने वाली प्रशांत किशोर का दल जनसुराज भी पारंपरिक दलों को चुनौती दे रहा है। इस बीच यह जानना अहम है कि अलग-अलग दल जिस बिहार को साफ और स्वच्छ राजनीति देने की बात कहते रहे हैं, उनका खुद का रिकॉर्ड कितना साफ है।

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वैसे तो इस बात को मापने के कई मानक हैं, लेकिन सबसे पहले इस पैमाने पर पार्टियों की तरफ से आपराधिक मामले वाले विधायकों के रिकॉर्ड को तोल कर देख लेते हैं।भारत में चुनाव और राजनीतिक सुधारों के लिए काम कर रही संस्था- एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स हर चुनाव (लोकसभा और विधानसभा) में उम्मीदवारों से लेकर विधायकों तक के हलफनामों की जांच करती है। इस संस्था ने बिहार के लिए भी 2005 से लेकर 2020 तक के विधानसभा चुनाव में जीते हुए प्रत्याशियों के घोषित रिकॉर्ड्स को खंगाला और उसके हिसाब से दागी विधायकों का पूरा चिट्ठा जनता के सामने रखा। एडीआर ने 243 में से 242 विधायकों के हलफनामे के विश्लेषण के बाद पाया कि इनमें से 141 यानी करीब 58 फीसदी विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज थे। 2005 के मुकाबले यह संख्या ज्यादा रही। इनमें से गंभीर अपराध वाले विधायकों की संख्या 85 रही।

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