मतदाताओं ने इस बार भी जाति तोड़कर बनाई है नीतीश कुमार की सरकार,अच्छे से बिखर गई MY समीकरण

 मतदाताओं ने इस बार भी जाति तोड़कर बनाई है नीतीश कुमार की सरकार,अच्छे से बिखर गई MY समीकरण
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जाति है कि जाती नहीं… बिहार के लिए हमेशा यह कहा जाता रहा है। चुनावों में तो खासकर। लेकिन, बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में नीतीश कुमार सरकार की वापसी के लिए मतदाताओं ने इन कहावतों को किनारे कर एकतरफा मतदान किया। परिणाम सामने है। यादव और मुस्लिम के नाम का समीकरण रखने वाली पार्टी बुरी तरह पराजित हुई। इसके साथ ही एक बात चर्चा में आ गई कि अरसे बाद बिहार विधानसभा एक खास जाति के दबदबे से बाहर निकल रहा है। इस बार विधायकों का जातीय समीकरण बहुत हद तक अलग है। दलित भी खूब हैं, सवर्ण भी मजबूत।पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद की पार्टी के कोर वोटर माने जाने वाले यादव और मुस्लिम ही उनसे दूर हो गए। परिणाम यह हुआ कि जिस 14 प्रतिशत यादव और 17.7 प्रतिशत मुस्लिमों के वोट बैंक के आधार पर तेजस्वी यादव ने 18 नवंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने की घोषणा की थी, वह वोट बैंक ही बिखर गया।

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महागठबंधन ने कुल 66 यादवों को टिकट दिया था। इसमें से महज 12 ही जीत पाए। वहीं मुस्लिम वोट बैंक पर फोकस करने के बावजूद राजद से तीन और कांग्रेस के दो मुस्लिम विधायक ही जीत पाए। जदयू के एक विधायक जमा खान ने जीत दर्ज की। बाकी पांच विधायक एआईएमआईएम के बने हैं।इस बार चुनाव में सबसे ज्यादा विधायक राजपूत जाति से बने हैं। इनमें महागठबंधन और एनडीए के दलों के प्रत्याशी हैं। इनके बाद यादव की विधायकों की संख्या पिछले चुनाव की तुलना में आधी हो गई। पिछले चुनाव में यादव जाति के 55 प्रत्याशी चुनाव जीते थे। इस बार यह संख्या घटकर 28 कर गई। इसमें 15 एनडीए से हैं। दरअसल में साल 2025 में यादव समुदाय के विधायकों की संख्या घटकर 28 रह गई, जबकि कुर्मी से 25 और कुशवाहा से 23 विधायक बने। वैश्य समुदाय के 26, राजपूत के 32 और भूमिहार के 23 उम्मीदवार जीते। ब्राह्मण के 14, कायस्थ के 3 और पिछड़ा वर्ग से 13 विधायक चुने गए। दलित समुदाय के 36, एसटी के 11 और मुस्लिम समुदाय के केवल 10 विधायक इस चुनाव में विधानसभा पहुंचे।साल 2020 में यादव समुदाय के 55 विधायक बने, जबकि कुर्मी के 10 और कुशवाहा के 16 विधायक विजयी हुए। वैश्य समुदाय के 22, राजपूत के 18 और भूमिहार के 17 उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की। ब्राह्मण के 12, कायस्थ के 3 और पिछड़ा वर्ग से 21 विधायक बने। दलित समुदाय के 38, एसटी के 2 और मुस्लिम समुदाय से 14 विधायक विधानसभा पहुंचे।साल 2015 में यादव समुदाय के सबसे अधिक 61 विधायक बने। कुर्मी के 16, कुशवाहा के 20 और वैश्य समुदाय से 13 विधायक विजयी हुए। राजपूत के 20, भूमिहार के 17 और ब्राह्मण के 10 विधायकों के साथ आगे रहे। कायस्थ से 4, पिछड़ा वर्ग से 18 और दलित समुदाय से 38 विधायक बने। एसटी से 2 और मुस्लिम समुदाय से 24 विधायक उस चुनाव में चुने गए।

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