क्या है महागठबंधन के तीन डिप्टी सीएम का नया फॉर्मूला?जानें पूरी खबर

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महागठबंधन और एनडीए दोनों गठबंधनों में सीटों को लेकर खींचतान चल रही है और दोनों गठबंधनों में शामिल बड़े दलों के साथ साथ छोटे दलों की महत्वाकांक्षाएं और ज्यादा सीटें हासिल करने की होड़ से सियासत गरमाई हुई है। एक तरफ जहां महागठबंधन में कांग्रेस और राजद में खींचतान चल रही है तो उधर एनडीए में चिराग पासवान और जीतन राम मांझी ने जदयू और भाजपा का तनाव बढ़ा दिया है।महागठबंधन का सीएम फेस फिलहाल राजद नेता तेजस्वी यादव ही हैं, लेकिन अभी तक सहयोगियों ने उनका नाम फाइनल नहीं किया है। इस तरह से चाचा नीतीश को इस बार टक्कर भतीजा तेजस्वी देंगे। तेजस्वी ने सियासी गुर नीतीश से भी सीखा है क्योंकि नीतीश के साथ उन्होंने सत्ता संभाली थी और उप मुख्यमंत्री रह चुके हैं। फिलहाल नीतीश कैबिनेट में दो उप मुख्यमंत्री हैं, पहले सम्राट चौधरी जो ओबीसी समुदाय से आते हैं और दूसरे विजय कुमार सिन्हा, जो जाति से भूमिहार हैं।

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नीतीश सरकार में दोनो उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा 28 जनवरी, 2024 से लगभग 252 दिनों तक इस पद पर हैं।वरिष्ठ राजद और कांग्रेस नेताओं ने बुधवार को कहा कि गठबंधन में अंतिम सीट समझौते के करीब पहुंच गया है। महागठबंधन का फॉर्मूला कुछ अलग सा है, जिसमें कहा गया है कि विधानसभा चुनाव में जीत के बाद बिहार में तीन उप मुख्यमंत्री होंगे, जिसमें एक दलित, एक मुस्लिम और एक अत्यंत पिछड़ा वर्ग समुदाय से होगा। राजद का कहना है कि, महागठबंधन के इस फ़ॉर्मूले से इस बात का स्पष्ट संकेत है कि तेजस्वी यादव गठबंधन के निर्विवाद मुख्यमंत्री पद के चेहरे के रूप में उभरे हैं। यह लालू की विरासत को नया रूप देने का लालू का मास्टरस्ट्रोक है। कांग्रेस के प्रवीण सिंह कुशवाहा ने कहा कि प्रस्तावित तीन उप-मुख्यमंत्री का फ़ॉर्मूला राहुल गांधी के सभी जातियों और वर्णों को संतुलित करने का प्रयास है। हालांकि किसी पार्टी या गठबंधन द्वारा चुनाव से पहले उप-मुख्यमंत्री की नियुक्ति के बारे में निर्णय लेना असामान्य सी बात है। राजद ने 20 वर्षों में अपने दम पर कोई चुनाव नहीं जीता है और पांच साल पहले हुए चुनाव में महागठबंधन बहुमत के आंकड़े से बहुत दूर रह गया था, क्योंकि छोटे समुदाय चुपचाप यादवों के जमीनी प्रभुत्व के खिलाफ लामबंद हो गए थे।राजनीति के हिसाब से मानें तो अगर महागठबंधन को जीत मिलती है तो तेजस्वी यादव के लिए, तीन उप-मुख्यमंत्री का फॉर्मूला कई फ़ायदे दे सकता है। यह वंशवादी वर्चस्व के आरोपों को कम कर सकता है, अतीत की यादव-केंद्रित धुरी से अलग होने का संकेत देता है, और दलित, अति-पिछड़े और मुस्लिम प्रतिनिधियों को स्पष्ट जगह देता है।

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