नवरात्रि की अष्टमी पूजा आज,जानिए मां महागौरी की मंत्र और आरती

 नवरात्रि की अष्टमी पूजा आज,जानिए मां महागौरी की मंत्र और आरती
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मंगलवार,आज 30 सितंबर को शारदीय नवरात्रि का आठवां दिन है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, नवरात्रि का आठवां दिन महागौरी माता को समर्पित माना जाता है. नवरात्रि की अष्टमी तिथि का विशेष माना जाता है और इसे महाअष्टमी भी कहते हैं. इस दिन मां महागौरी की पूजा-अर्चना की जाती है और कन्या पूजन किया जाता है. नवरात्रि के 8वें दिन महागौरी देवी को अलग भोग भी लगाया जाता है. माता महागौरी को देवी दुर्गा का आठवां स्वरूप हैं और उन्हें शांत, करुणावान और स्नेहमय देवी माना जाता है. मां गौरी अपने भक्तों पर कृपा करती हैं और उनकी सभी समस्याओं से मुक्ति दिलाती हैं. अगर आप भी नवरात्रि के 8वें दिन मां महागौरी की पूजा करने जा रहे हैं, तो चलिए आपको बताते हैं महागौरी माता का मंत्र और आरती।

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मां महागौरी का मंत्र क्या है?

नवरात्रि के 8वें दिन (अष्टमी) मां महागौरी की पूजा के मंत्र हैं: “ॐ देवी महागौर्यै नमः॥” और “या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥”। नवरात्रि की अष्टमी पर इन मंत्रों का जाप करने से मां महागौरी प्रसन्न होती हैं और भक्तों के संकट दूर करती हैं।

स्नान और वस्त्र धारण:- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ सफेद कपड़े पहनें.

पूजा स्थल की शुद्धि:- पूजा स्थल को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं.

मां की स्थापना:- फिर मां महागौरी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें.

वस्त्र और पुष्प अर्पण:- मां को सफेद वस्त्र और सफेद फूल अर्पित करें.

श्रृंगार और तिलक:- मां को रोली, चंदन, कुमकुम और अक्षत चढ़ाएं.

भोग लगाएं:- मां महागौरी को नारियल और नारियल की मिठाई का भोग लगाएं.

मंत्र जाप और आरती:- महागौरी मां के मंत्रों का जाप करें और उनकी आरती गाएं.

कन्या पूजन:- अष्टमी पर नौ कन्याओं को देवी का रूप मानकर उनकी पूजा करें, भोजन कराएं और उपहार देकर विदा करें.

महागौरी माता की आरती:

जय महागौरी जगत की माया.
जया उमा भवानी जय महामाया..
हरिद्वार कनखल के पासा.
महागौरी तेरा वहां निवासा..
चंद्रकली और ममता अंबे.
जय शक्ति जय जय मां जगदंबे..
भीमा देवी विमला माता.
कौशिकी देवी जग विख्याता..
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा.
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा..
सती सत’ हवन कुंड में था जलाया.
उसी धुएं ने रूप काली बनाया..
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया.
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया..
तभी मां ने महागौरी नाम पाया.
शरण आनेवाले का संकट मिटाया..
शनिवार को तेरी पूजा जो करता.
मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता..
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो.
महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो..

महागौरी माता की कथा:

पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी पार्वती को अपने पूर्व जन्म की घटनाएं आठ साल की आयु में ही याद आने लगीं, जब वे देवी सती थीं और उनकी मृत्यु हो चुकी थी. पिछले जन्म की स्मृति के बाद उन्होंने भगवान शिव को अपना पति मान लिया और उन्हें पाने के लिए इस जन्म में भी कठोर तपस्या करने का निश्चय किया. माता पार्वती ने वर्षों तक निराहार और निर्जला तपस्या की, जिससे उनका शरीर काला पड़ गया था.माता पार्वती की ऐसी तपस्या देखकर भगवान शिव बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने माता पार्वती को अपनी पत्नी रूप में स्वीकार करने का वचन दिया. फिर भगवान शिव ने माता के शरीर को गंगा के पवित्र जल से धोया और गंगाजल से स्नान करने के बाद उनका शरीर विद्युत के समान तेजस्वी और गौर वर्ण का हो गया. इस स्नान के बाद माता पार्वती कांतिमय और तेजस्वी हो गईं और महागौरी कहलाईं।

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