नवरात्रि का आज है सातवां दिन,जानें मां कालरात्रि की मंत्र और आरती

 नवरात्रि का आज है सातवां दिन,जानें मां कालरात्रि की मंत्र और आरती
Sharing Is Caring:

सोमवार,आज 29 सितंबर को शारदीय नवरात्रि का सातवां दिन है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि का सातवां दिन कालरात्रि माता को समर्पित माना जाता है. नवरात्रि की सप्तमी तिथि का विशेष माना जाता है और इसे महासप्तमी भी कहते हैं. इस दिन मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना की जाती है और व्रत किया जाता है. नवरात्रि के सातवें दिन कालरात्रि देवी को अलग भोग भी लगाया जाता है. सातवां नवरात्रि माता कालरात्रि का होता है, जो देवी दुर्गा का एक उग्र स्वरूप हैं. ऐसा माना जाता है कि उनकी पूजा करने से सभी प्रकार के भय और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है. साथ ही, भक्त को अकाल मृत्यु का भय भी नहीं सताता है. अगर आप भी नवरात्रि के 7वें दिन मां कालरात्रि की पूजा करने जा रहे हैं, तो चलिए आपको बताते हैं मां कालरात्रि का मंत्र, पूजा विधि, भोग उनका प्रिय रंग।

1000595798

मां कालरात्रि का मंत्र क्या है?:

नवरात्रि के 7वें दिन देवी कालरात्रि की पूजा की जाती है और उनके मंत्र ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नमः और ॐ कालरात्र्यै नमः हैं. मां कालरात्रि के इन मंत्रों के जाप करने से भक्तों को भय, नकारात्मकता और बाधाओं से मुक्ति मिलती है. साथ ही, शक्ति और आत्मविश्वास प्राप्त होता है।

कालरात्रि माता की आरती:

कालरात्रि जय जय महाकाली

काल के मुंह से बचाने वाली

दुष्ट संहारिणी नाम तुम्हारा

महा चंडी तेरा अवतारा

पृथ्वी और आकाश पर सारा

महाकाली है तेरा पसारा

खंडा खप्पर रखने वाली

दुष्टों का लहू चखने वाली

कलकत्ता स्थान तुम्हारा

सब जगह देखूं तेरा नजारा

सभी देवता सब नर नारी

गावे स्तुति सभी तुम्हारी

रक्तदंता और अन्नपूर्णा

कृपा करे तो कोई भी दुःख ना

ना कोई चिंता रहे ना बीमारी

ना कोई गम ना संकट भारी

उस पर कभी कष्ट ना आवे

महाकाली मां जिसे बचावे

तू भी ‘भक्त’ प्रेम से कह

कालरात्रि मां तेरी जय.

मां कालरात्रि की कथा:

प्रचलित पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब शुंभ और निशुंभ नाम के राक्षसों ने तीनों लोकों में हाहाकार मचा दिया, तब देवताओं ने उनसे रक्षा के लिए मां दुर्गा की पूजा की। इस युद्ध में रक्तबीज नाम के एक राक्षस ने अपनी शक्ति से सभी को डरा दिया था। रक्तबीज को यह वरदान प्राप्त था कि उसके रक्त की एक भी बूंद धरती पर गिरने से उसी के समान एक और शक्तिशाली राक्षस उत्पन्न हो जाएगा। जब मां दुर्गा ने रक्तबीज को मारना शुरू किया, तो उसके रक्त की बूंदों से लाखों राक्षस पैदा हो गए, जिससे युद्ध की स्थिति और खराब हो गई। तब, मां दुर्गा ने अपनी शक्ति से मां कालरात्रि को उत्पन्न किया।मां कालरात्रि का रूप बहुत उग्र है। उनके शरीर का रंग काला, बिखरे हुए बाल और तीन विशाल नेत्र हैं। उन्होंने रक्तबीज पर प्रहार किया और उसके रक्त की एक भी बूंद को धरती पर गिरने से पहले ही अपनी मुख के अंदर ले ली।इस तरह मां कालरात्रि ने रक्तबीज का संहार किया और तीनों लोकों को उसके आतंक से मुक्त कराया। कहा जाता है कि मां कालरात्रि की पूजा से गुप्त शत्रुओं का नाश होता है। साथ ही सभी दुख दूर होते हैं।

Comments
Sharing Is Caring:

Related post