नवरात्रि के चौथे दिन आज होगी मां कूष्मांडा की पूजा,जानिए कथा और आरती
आज शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन मनाया जाता है और आज देवी दुर्गा के चौथे रूप मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है, इस साल की चतुर्थी तिथि से दो दिन होने वाली पूर्णिमा से 9 दिन तक चलने वाली नवरात्रि का यह पर्व 10 दिन तक मनाया जाएगा और दो दिन आज और कल मां कूष्मांडा की पूजा की जाएगी। कहा जाता है कि मां कूष्मांडा ने ही ब्रह्मांड की रचना की थी और वे अष्टभुजा के रूप में थीं। कूष्मांडा ने अपने हाथों में कमल, धनु, बाण और कमंडल लिए थे और हाथों में गदा, चक्र और जप माला बताई थी। तो जानें आज कैसे करें मां कूष्मांडा की पूजा और क्या है पावरफुल मंत्र?मां कूष्मांडा की पूजा के लिए सबसे पहले साधक को सूर्योदय से पहले भयानक स्नान करना चाहिए और साफ कपड़े पहनकर पूजा की तैयारी करनी चाहिए, इसके बाद पूजा में या फिर घर के ईशान कोड में एक तरफ पीले रंग का आसन का बाबाए और उस पर माता की तस्वीर या मूर्ति रखें। इसके बाद उस मूर्ति या चित्र पर गंगाजल में पवित्र कर लें, देवी कूष्मांडा की पूरी विधि-विधान से पूजा करें और आज जाने वाले व्रत का संकल्प लें, इसके बाद मां कूष्मांडा देवी को रोली-चंदन, अक्षत, फल-फूल और पीले रंग की मिठाई दें और फिर से दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ करें। पूजा के अंत में मां कूष्मांडा की आरती करें और पूजा में हुई कोई भूल-चूक की माफ़ी।नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा देवी की पूजा की जाती है और मां कूष्मांडा को पीला रंग बेहद पसंद है, ऐसे में नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा में पीले रंग के वस्त्र, चतुर्थी चू पेड़, विशाल बिंदी, पीला रंग, पीला फल, वैलिड मिष्ठान्न आदि जरूर खिलाए, ऐसा करने सा रानी माता खुशियां चाहती हैं और आपकी हर मां पूरी तरह से प्रतिष्ठित हैं।

माँ कूष्माण्डा देवी का शक्तिपूर्ण मंत्र:
हिंदू सिद्धांत के अनुसार हर हर देवी-देवता और भगवान के कोई न कोई मंत्र होते हैं, जैसे जाप करके भक्त उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, शांति और समृद्धि पा सकते हैं। ये मंत्र विशेष शब्दांश और ध्वनि-कंपन से बने होते हैं, जो भक्त के निजी को देवता से कहते हैं। ऐसे ही मां कूष्मांडा देवी का भी एक बेहद शक्तिशाली मंत्र है, जिसका जाप आज आप पूजा में कर सकते हैं और उनकी कृपा पा सकते हैं।
- ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः
- कूष्मांडा: ऐं ह्रीं देव्यै नम:
कूष्मांडा की कथा:
प्राचीन ग्रंथों को देखने पर देवी कूष्मांडा माता का विवरण मार्कण्डेय पुराण में मिलता है. इसके अनुसार कूष्मांडा माता ने जब ब्रह्माजी द्वारा दिए गए शक्ति स्वरूप अवतार को धारण किया तब उन्हें कूष्मांडा कहा गया. इस कथा के मुताबिक देवी कूष्मांडा देवी ब्रह्माजी की शक्ति से दुर्गा रूप में प्रकट हुईं और भक्तों को रक्षा की. वहीं एक कथा यह भी है कि वर्णित है कि जब त्रिदेवों (ब्रह्म, विष्णु और महेश) ने चिरकाल में सृष्टि की रचना करने की कल्पना की थी. उस वक्त समस्त ब्रह्मांड में घोर अंधेरा छाया हुआ था. न राग, न ध्वनि, केवल सन्नाटा था. त्रिदेवों ने जगत जननी माता आदिशक्ति दुर्गा से सहायता मांगी. तब मां दुर्गा के चौथे स्वरूप यानी मां कूष्मांडा ने तत्क्षण अपनी मंद मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की. उनके मुखमंडल से निकले प्रकाश ने समस्त ब्रह्मांड को प्रकाशमान कर दिया. इसी कारण उन्हें मां कूष्मांडा कहा जाता है।
आरती कूष्मांडा माता जी की:
कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥
पिगंला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी मां भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे।
भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदम्बे।
सुख पहुंचती हो मां अम्बे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
मां के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो मां संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥
