पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर GST कटौती का नहीं पड़ा असर?जान लीजिए पूरी सच्चाई
आज से भारत के इनडायरेक्ट टैक्सेशन सिस्टम में बड़े बदलाव हो गए हैं. टैरिफ अनिश्चितताओं के बीच इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए कम से कम 375 प्रोडक्ट्स पर से जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) में कटौती की जा रही है. भारत भर के कंज्यूमर्स को राहत देते हुए देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीएसटी काउंसिल की 56वीं मीटिंग में टैक्स की 4 स्लैब को कम कर 2 कर दिया था. इस जीएसटी रिफॉर्म के बाद 5 और 18 फीसदी जीएसटी स्लैब ही रहेंगी.वहीं एक 40 फीसदी कस स्पेशल स्लैब होगा, जिसमें लग्जरी और सिन प्रोडक्ट्स को रखा गया है. 12% जीएसटी स्लैब के तहत लगभग 99 फीसदी वस्तुएं 5% टैक्स स्लैब में आ गई हैं. इस बदलाव का मतलब यह भी है कि 28 फीसदी टैक्स स्लैब स्लैब के तहत 90 फीसदी प्रोडक्ट्स 18 फीसदी टैक्स स्लैब में आ गई हैं.

सरकार ने तंबाकू, सिगरेट, लग्जरी कारों और कुछ अन्य वस्तुओं के लिए एक अलग 40 फीसदी जीएसटी स्लैब की भी घोषणा की है.सीतारमण ने कहा था कि जीएसटी रिफॉर्म से इकोनॉमी में 2 लाख करोड़ रुपए का निवेश होगा, जिससे लोगों के हाथ में ज़्यादा कैश आएगा. कम से कम 375 प्रोडक्ट्स के टैक्स में कमी की गई है, लेकिन कुछ लोग सोच रहे होंगे कि इस नए जीएसटी रिफॉर्म से पेट्रोल, डीजल और शराब की कीमतों का क्या होगा. आइए इसे जरा समझने की कोशिश करते हैं…पेट्रोल और डीजल वर्तमान में जीएसटी के दायरे में नहीं आते हैं. इसलिए, जीएसटी रेट रिफॉर्म का पेट्रोल और डीजल पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. भारत में, बिना टैक्स के पेट्रोल की कीमत या वास्तविक पेट्रोल की कीमत उसके रिटेल वैल्यू से अपेक्षाकृत कम है. ऐसा इसलिए है क्योंकि पेट्रोल और डीजल पर केंद्र और राज्य सरकारें दोनों टैक्स लगाती हैं.इसलिए, पेट्रोल और डीजल की कीमतें राज्य दर राज्य अलग-अलग होती हैं, जो इस बात पर निर्भर करती है कि राज्य सरकार फ्यूल की कीमतों पर कितना टैक्स लगाती है. रिटेल प्राइस में अतिरिक्त राशियों, डीलर को दिए जाने वाले कमीशन और माल ढुलाई लागत आदि शामिल होता है.पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले विभिन्न प्रकार के टैक्स में केंद्र का उत्पाद शुल्क और राज्यों द्वारा लगाया जाने वाला वैट शामिल है. जहां उत्पाद शुल्क सभी राज्यों के लिए समान है, वहीं वैट राज्य दर राज्य बदलता रहता है, जिससे कुछ राज्यों में पेट्रोल की कीमतें ज़्यादा और कुछ में कम हो जाती हैं.केंद्र सरकार पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार कर रही है, वहीं राज्यों ने इस पर आपत्ति जताई है, क्योंकि वे पहले ही जीएसटी के दायरे में आने वाली वस्तुओं पर टैक्स लगाने की स्वायत्तता खो चुके हैं. केंद्र और राज्यों ने पेट्रोल और डीजल पर जीएसटी नहीं लगाने के अपने फैसले को यह कहते हुए उचित ठहराया है कि ये कर कई सामाजिक कार्यक्रमों के वित्तपोषण में सहायक होते हैं.पेट्रोल और डीजल की तरह, आज से लागू होने वाले जीएसटी रिफॉर्म का शराब की कीमतों पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा. शराब पर टैक्स लगाने का अधिकार राज्यों के पास है, जो इन पेय पदार्थों पर वैट लगाते हैं. राज्य अपने रेवेन्यू का एक बड़ा हिस्सा शराब से कमाते हैं, इसलिए इसे जीएसटी के दायरे में नहीं रखा गया है. अगर राज्य सरकारें किसी भी समय वैट कम करने का फैसला करती हैं, तो शराब की कीमतें कम हो जाती हैं. पेट्रोल और डीजल की तरह, शराब के टैक्स कंपोनेंट में एक्साइज ड्यूटी और वैट शामिल हैं.ये दोनों शुल्क राज्य द्वारा वसूले जाते हैं. इंटरनेशनल स्पिरिट्स एंड वाइन एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा संकलित फ्रेश आंकड़ों के अनुसार, जिसका हवाला द टाइम्स ऑफ इंडिया ने मई 2025 में दिया था, गोवा सबसे कम 55 फीसदी एक्साइज ड्यूटी लगाता है, जबकि कर्नाटक सबसे अधिक 80 फीसदी उत्पाद शुल्क लगाता है. राज्य शराब पर वैट लगाने का अधिकार छोड़ने को तैयार नहीं हैं, जिसकी वजह से विभिन्न राज्यों में अलग-अलग खुदरा कीमतें हैं।
